राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (NEET) के एक छात्र की आत्महत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई की। अदालत ने इस गंभीर घटनाको लेकर राजस्थान सरकार और कोटा पुलिस पर कड़ी टिप्पणी की। न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने पूछा, “राज्य सरकार इस मुद्दे को लेकर क्या कदम उठा रही है? सिर्फ कोटा में ही छात्रों की आत्महत्या की घटनाएं क्यों हो रही हैं?”
FIR दर्ज न होने पर जताई नाराज़गी
सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि इस विशेष मामले में अब तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। अदालत ने कहा कि यह उसके पूर्व के आदेशों की अवमाननाहै। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर छात्र की आत्महत्या होती है, तो पुलिस को तुरंत एफआईआर दर्ज करनी चाहिए। इस मामले में लापरवाही पर कोटाके एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को 14 जुलाई को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया गया है।
राज्य सरकार से पूछा गया सवाल
पीठ ने राजस्थान सरकार से पूछा, “क्या आपने एक राज्य के रूप में इन घटनाओं पर गंभीर विचार किया है? इस मामले की जांच के लिए बनाई गईएसआईटी ने अब तक क्या कदम उठाए हैं?” अदालत ने चिंता जताई कि छात्रों की लगातार हो रही आत्महत्याएं एक गंभीर सामाजिक समस्या बनतीजा रही हैं।
IIT छात्र की मौत का मामला भी आया सामने
सुप्रीम कोर्ट ने इसी दौरान आईआईटी खड़गपुर के एक छात्र की आत्महत्या के मामले में एफआईआर दर्ज करने में हुई चार दिन की देरी पर भी सवालखड़े किए। अदालत ने अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसी घटनाओं को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
पहले दिए फैसले का हवाला
अदालत ने इस वर्ष की शुरुआत में दिए गए उस फैसले का जिक्र किया, जिसमें कहा गया था कि छात्र की आत्महत्या के मामले में एफआईआर तुरंतदर्ज की जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि वह इस विषय पर सख्त रुख अपना सकता है, लेकिन फिलहाल अवमानना की कार्यवाही शुरू करने से बचरहा है।