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आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने दिल्ली में ‘पूर्वांचल सम्मान मार्च’ की शुरुआत की है। यह पहल दिल्ली में बसेपूर्वांचल समुदाय के मतदाताओं तक पहुंच बनाने और उनके समर्थन को सुनिश्चित करने के लिए की गई है।

पूर्वांचल समुदाय से जुड़ाव बढ़ाने की कोशिश
दिल्ली में पूर्वांचल यानी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पूर्वी भारत से आने वाले लोगों की आबादी महत्वपूर्ण है। बीजेपी ने इस मार्च को उन मुद्दोंपर ध्यान केंद्रित करने के लिए डिज़ाइन किया है, जो इस समुदाय को प्रभावित करते हैं। इसमें रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार औरसांस्कृतिक पहचान बनाए रखने जैसे विषय शामिल हैं।

पार्टी का दावा है कि वह इस समुदाय के लिए पहले से ही कई योजनाएं और नीतियां लेकर आई है। ‘पूर्वांचल सम्मान मार्च’ के जरिए बीजेपी उनकीजरूरतों और समस्याओं को और बेहतर तरीके से समझने की कोशिश कर रही है।

केजरीवाल सरकार पर निशाना
इस मार्च के दौरान बीजेपी ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार को पूर्वांचलियों की समस्याओं को अनदेखा करने के लिए आड़े हाथोंलिया। बीजेपी नेताओं का आरोप है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केवल वोट बैंक के तौर पर इस समुदाय का इस्तेमाल किया है।

केजरीवाल के घर के बाहर प्रदर्शन*
मार्च के साथ ही बीजेपी कार्यकर्ताओं ने केजरीवाल के घर के बाहर विरोध-प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने ‘पूर्वांचल का सम्मान बचाओ’ और’केजरीवाल इस्तीफा दो’ जैसे नारे लगाए। उनका आरोप था कि सत्ता में आने से पहले केजरीवाल ने पूर्वांचल समुदाय के लिए कई वादे किए थे, जिन्हेंवह अब तक पूरा नहीं कर पाए हैं।

राजनीतिक रणनीति के रूप में देखा जा रहा अभियान
‘पूर्वांचल सम्मान मार्च’ को राजनीतिक विशेषज्ञ आगामी चुनावों के मद्देनज़र बीजेपी की अहम रणनीति मान रहे हैं। यह न केवल पूर्वांचल केमतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास है, बल्कि केजरीवाल सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश भी है।

दूसरी ओर, आम आदमी पार्टी ने इसे चुनावी चाल बताते हुए खारिज किया। पार्टी का कहना है कि दिल्ली सरकार ने हर समुदाय के विकास के लिएकाम किया है और बीजेपी केवल राजनीतिक लाभ के लिए ऐसे मुद्दे उठा रही है।



चुनावी समीकरणों पर प्रभाव
बीजेपी का यह अभियान दिल्ली की राजनीति में हलचल मचा चुका है। यह देखना दिलचस्प होगा कि ‘पूर्वांचल सम्मान मार्च’ आगामी चुनावों मेंकितना प्रभाव डालता है और क्या बीजेपी इस समुदाय के बीच अपनी पकड़ मजबूत कर पाती है।

अभी यह अभियान जारी है, और इसके परिणाम आने वाले समय में साफ होंगे। यह स्पष्ट है कि इस कदम ने दिल्ली की राजनीतिक स्थिति को और गर्मकर दिया है।

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