आज पूरा देश 76वा गणतंत्र दिवस मना रहा है, वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने देश वासियों को पूरी कांग्रेस पार्टी की तरफ सेबधाई दी। चलिए जानते हैं इस ऑर्टिकल के माध्यम से मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने क्या क्या कहा?। गणतंत्र दिवस के इस पावन अवसर पर भारतीयराष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से, मैं आप सभी को शुभकामनाएँ देता हूँ। आज हम भारतीय संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, जो हमारेगणतंत्र की आत्मा है।
संविधान निर्माताओं को नमन
इस दिन, हम महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, मौलाना अबुलकलाम आजाद, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, सरोजिनी नायडू और उन सभी महान नेताओं को कृतज्ञता और सम्मानपूर्वक याद करते हैं जिन्होंने भारत को एकसमृद्ध गणतंत्र बनाने में योगदान दिया। संविधान सभा के हर सदस्य के प्रति हमारी श्रद्धा है, जिन्होंने इस विविधता भरे देश के लिए एक दूरदर्शीदस्तावेज़ तैयार किया।
राष्ट्र रक्षकों और राष्ट्र निर्माताओं का सम्मान
हम अपने सैनिकों, अर्धसैनिक बलों और सुरक्षाकर्मियों को सलाम करते हैं, जिन्होंने देश की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा के लिए अनगिनत बलिदानदिए। वैज्ञानिकों और शिक्षकों का भी आभार, जिनकी मेहनत से भारत ज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में अग्रणी बना। हमारे किसान, श्रमिक, मजदूर, औरकलाकार राष्ट्र निर्माण के आधारस्तंभ हैं। हम उन सभी को धन्यवाद देते हैं, जिनकी कड़ी मेहनत से भारत प्रगति कर रहा है।
संविधान पर बढ़ते हमले
यह दिन न केवल जश्न का है, बल्कि संविधान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध होने का भी है। आज, संविधान पर लगातार हमले हो रहे हैं। सत्ताधारी दल नेहमारे स्वायत्त संस्थानों की स्वतंत्रता को बाधित किया है। संघीय ढांचे को कमजोर करते हुए विपक्षी राज्यों के अधिकारों में कटौती की जा रही है।संसद की कार्यक्षमता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
समाजिक और आर्थिक चुनौतियां
धार्मिक कट्टरवाद और विभाजनकारी नीतियों ने देश के सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित किया है। कमजोर वर्गों और अल्पसंख्यकों के खिलाफअत्याचार बढ़ रहे हैं। आर्थिक असमानता अपने चरम पर है। संसाधनों का लाभ केवल कुछ खास लोगों तक सीमित है, जबकि आम नागरिकों पर टैक्सका बोझ लगातार बढ़ रहा है।
संविधान की रक्षा का संकल्प
हम सभी को इस अवसर पर न्याय, समानता, स्वतंत्रता, और बंधुत्व के आदर्शों को संरक्षित करने की शपथ लेनी चाहिए। यह हमारा कर्तव्य है किसंविधान की मूल भावना को बनाए रखें और इसे किसी भी तरह के प्रहार से बचाएँ।
जय बापू, जय भीम, जय संविधान।
जय हिंद।