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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में नया इनकम टैक्स बिल 2025 पेश किया, जिसे 7 फरवरी 2025 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी।यह बिल लगभग 60 साल पुराने आयकर अधिनियम 1961 की जगह लेगा और टैक्स सिस्टम को अधिक सरल, पारदर्शी और प्रभावी बनाने काउद्देश्य रखता है। इसमें कई बड़े बदलाव किए गए हैं, जैसे ‘असेसमेंट ईयर’ की जगह ‘टैक्स ईयर’ की अवधारणा को अपनाया गया है, जो हर साल 1 अप्रैल से 31 मार्च तक की अवधि होगी। यदि कोई नया व्यवसाय या पेशा शुरू किया जाता है, तो उसका टैक्स ईयर व्यवसाय शुरू होने की तारीख सेलेकर वित्तीय वर्ष के अंत तक चलेगा।

इस नए विधेयक में पुराने 823 पन्नों की तुलना में सिर्फ 622 पन्नों में कानूनी भाषा को सरल और छोटा बनाया गया है। पुराने कानून के 298 सेक्शन्स को बढ़ाकर 536 कर दिया गया है, जबकि शेड्यूल्स की संख्या 14 से बढ़ाकर 16 कर दी गई है। क्रिप्टोकरेंसी जैसे वर्चुअल डिजिटलएसेट्स पर सख्त नियम लागू किए गए हैं, जिससे इन्हें अनडिस्क्लोज्ड इनकम की श्रेणी में रखा जाएगा। इसके साथ ही, टैक्सपेयर्स चार्टर भी जोड़ागया है, जो करदाताओं के अधिकारों की रक्षा करेगा और टैक्स प्रशासन को पारदर्शी बनाएगा।

नए बिल में टैक्स स्लैब को भी संशोधित किया गया है। अब 12 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा, जबकि 4-8 लाख तक 5%, 8-12 लाख तक 10%, 12-16 लाख तक 15%, 16-20 लाख तक 20%, 20-24 लाख तक 25%, और 24 लाख से अधिक आय पर 30% टैक्सलगाया जाएगा। पहले नो-टैक्स सीमा 7 लाख रुपये थी, जिसे अब बढ़ाकर 12 लाख रुपये कर दिया गया है, जिससे मध्यम वर्ग को बड़ी राहतमिलेगी।

पुराने आयकर अधिनियम 1961 में कई समस्याएं थीं। यह कानून जटिल, कठिन और अनुपालन प्रक्रिया में बोझिल हो गया था। टैक्स विवादों कानिपटारा धीमा और पेचीदा था। इसके अलावा, यह डिजिटल अर्थव्यवस्था की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं था। इसलिए, सरकार ने इस नएबिल को लाकर टैक्स सिस्टम को आसान, पारदर्शी और समयानुकूल बनाने का प्रयास किया है।

यह विधेयक मध्यम वर्ग के लोगों के लिए फायदेमंद साबित होगा क्योंकि उनकी आय पर टैक्स का बोझ कम होगा। साथ ही, टैक्स फाइलिंग प्रक्रियाको सरल बनाया गया है और डिजिटल ट्रांजैक्शन को प्रोत्साहन मिलेगा। नए समाधान तंत्र से टैक्स विवादों का निपटारा जल्दी हो सकेगा। डिजिटलभुगतान और व्यापार को बढ़ावा देने वाले प्रावधानों के साथ, यह बिल भारतीय अर्थव्यवस्था को आधुनिक और समावेशी बनाने में मदद करेगा।

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