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26 जनवरी 2025 को भारत के गणतंत्र दिवस के मौके पर हरियाणा और पंजाब में किसानों ने ट्रैक्टर मार्च निकाला। इस प्रदर्शन में किसानों ने कृषिकानूनों के खिलाफ अपनी आवाज उठाई और सरकार से इन कानूनों को पूरी तरह से रद्द करने की मांग की। गणतंत्र दिवस के दिन किसानों का यहमार्च राजनीतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना गया, क्योंकि यह सरकार के खिलाफ किसान आंदोलन का एक मजबूत संदेश था।

किसानों का विरोध और मांगें
कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा किसान आंदोलन पिछले कुछ समय से देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। किसानों का कहना है कि ये कानूनउनके लिए हानिकारक हैं और उनकी जीवनशैली को प्रभावित करेंगे। खासतौर पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी और अपनी 12 मांगो कोलेकर किसानों ने 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकालकर सरकार को अपनी ताकत का एहसास कराने की कोशिश की।

अंबाला में मंत्री अनील विज का घर घेरा
हरियाणा के अंबाला जिले में किसानों ने राज्य के गृह मंत्री अनील विज के घर का घेराव किया। किसान नेताओं का कहना था कि अनील विज नेहमेशा किसानों के विरोध में बयान दिए थे और उनके द्वारा दिए गए बयान उनके संघर्ष के लिए प्रतिकूल थे। ऐसे में किसान नेताओं ने अपने विरोध कोएक नया मोड़ देने के लिए उनके घर का घेराव किया। इस दौरान पुलिस ने सुरक्षा बढ़ा दी, लेकिन किसान अपनी ताकत को दिखाते हुए अनील विजके घर के बाहर भारी संख्या में इकट्ठा हो गए। किसानों का कहना था कि यह घेराव तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार उनके मुद्दों को गंभीरता से नहींलेती।

बीजेपी कार्यालय के बाहर ट्रैक्टर लगाए
किसान संगठनों ने अंबाला और हरियाणा के अन्य हिस्सों में बीजेपी के कार्यालयों के बाहर भी ट्रैक्टरों की तैनाती की। यह कदम बीजेपी के नेतृत्ववाली सरकार के खिलाफ किसानों के गुस्से का प्रतीक था। किसानों ने बीजेपी के खिलाफ नारेबाजी की और यह संदेश दिया कि वे सरकार केखिलाफ अपनी लड़ाई को जारी रखेंगे। इस प्रदर्शन में किसानों ने कृषि कानूनों के खिलाफ अपनी आवाज को मजबूती से उठाया और सरकार सेतत्काल इन कानूनों को रद्द करने की मांग की।

पंजाब में भी किसानों ने निकाला ट्रैक्टर मार्च
पंजाब में भी किसानों ने 26 जनवरी के दिन व्यापक पैमाने पर ट्रैक्टर मार्च निकाला। अमृतसर, लुधियाना, पटियाला, जालंधर और अन्य प्रमुख शहरोंमें किसानों ने अपने ट्रैक्टरों के साथ मार्च निकाला। इन किसानों का कहना था कि सरकार उनके मुद्दों को नजरअंदाज कर रही है, और अगर उनकी मांगेंपूरी नहीं होतीं, तो वे अपनी रणनीतियों को और तेज करेंगे। पंजाब में किसानों का गुस्सा इस कदर बढ़ गया था कि ट्रैक्टर मार्च में भाग लेने वालेकिसानों की संख्या लाखों में पहुंच गई।

किसान आंदोलन का असर और पुलिस प्रशासन की तैयारी
किसान आंदोलनों के चलते पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा इंतजाम मजबूत किए थे। अंबाला और अन्य शहरों में पुलिस बल तैनात किया गया था।किसानों को किसी भी प्रकार के हिंसक प्रदर्शन से रोकने के लिए पुलिस ने कड़ी निगरानी रखी। हालांकि, किसान नेताओं ने प्रदर्शन के दौरान शांतिबनाए रखने की अपील की और कहा कि उनका उद्देश्य केवल अपनी मांगों को शांतिपूर्वक तरीके से सरकार के सामने रखना है।

किसान आंदोलन का राजनीतिक असर
हरियाणा और पंजाब में किसानों का यह ट्रैक्टर मार्च केवल कृषि कानूनों के खिलाफ एक विरोध प्रदर्शन नहीं था, बल्कि यह राज्य और राष्ट्रीयराजनीति में भी महत्वपूर्ण संदेश देने वाला था। किसान संगठनों का कहना था कि इस आंदोलन के जरिए वे सरकार से यह साबित करने की कोशिशकर रहे हैं कि उनकी ताकत अब भी बरकरार है और वे अपनी मांगों को लेकर पीछे नहीं हटेंगे। विपक्षी दलों ने भी किसानों के इस विरोध प्रदर्शन कासमर्थन किया और सरकार से अपील की कि किसानों की मांगों पर विचार किया जाए।

किसानों की तरफ से सरकार को चेतावनी
किसान नेताओं ने 26 जनवरी के ट्रैक्टर मार्च के बाद सरकार को चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तो उनका आंदोलन और तेज होसकता है। उनका कहना था कि यह ट्रैक्टर मार्च सिर्फ शुरुआत थी, और वे आगे भी बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करेंगे। किसानों का कहना था किसरकार ने उन्हें सुनने का प्रयास नहीं किया है, जिसके कारण आंदोलन और तेज हो सकता है।

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