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सीतापुर के वरिष्ठ पत्रकार राघवेन्द्र बापजेई की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई, जिससे पत्रकारिता जगत में हड़कंप मच गया है। इस दुखदघटना पर उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और पूर्व मंत्री अजय राय ने गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने इसे एक अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण घटना करारदेते हुए शोक संतप्त परिवार के लिए ईश्वर से साहस और पुण्यात्मा की शांति की कामना की।

सच्चाई के लिए संघर्षरत पत्रकार
राघवेन्द्र बापजेई को एक कर्मठ और साहसी पत्रकार के रूप में जाना जाता था। वह हमेशा सच के लिए लिखते रहे और हाल ही में धान खरीद में होरही गड़बड़ियों के खिलाफ अपनी आवाज उठा रहे थे। उनकी हत्या ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या उत्तर प्रदेश में पत्रकारोंऔर आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित है?

भय का माहौलअजय राय का आरोप
अजय राय ने कहा कि पूरे प्रदेश में एक भय का माहौल है। उन्होंने आरोप लगाया कि योगी सरकार के राज में सच बोलना या सच कहना एक अपराधबन गया है। राय ने कहा, “सरकार के भ्रष्टाचार पर यदि आप आवाज उठाते हैं, तो सरकारी बुलडोजर खड़े हैं। माफियाओं के खिलाफ यदि आप बोलतेहैं, तो गोली मार दी जाती है।” यह स्थिति दर्शाती है कि कैसे निरंकुशता और भ्रष्टाचार ने शासन की बुनियाद को कमजोर कर दिया है।

सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग
राय ने योगी सरकार से मांग की कि वह तुरंत प्रभाव से राघवेन्द्र बापजेई के हत्यारों को पकड़कर सख्त से सख्त कार्रवाई करे। इसके साथ ही, उन्होंनेस्व. बापजेई के परिवार को एक करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता और परिवार के किसी एक सदस्य को सरकारी नौकरी प्रदान करने की भी मांग की।

पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर खतरा
यह घटना केवल एक पत्रकार की हत्या नहीं है, बल्कि यह उस माहौल का प्रतीक है जिसमें पत्रकारिता और सच बोलने की स्वतंत्रता पर खतरा मंडरारहा है। जब पत्रकारों को अपनी जान का खतरा हो, तो यह लोकतंत्र के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है।

कांग्रेस पार्टी की गंभीरता
अजय राय के बयान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही है और वह सरकार से जवाबदेही की मांग कर रही है।उन्होंने कहा कि यह समय है कि सरकार पत्रकारों की सुरक्षा को प्राथमिकता दे और ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करे।

सामाजिक सुरक्षा की आवश्यकता

इस घटना ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि पत्रकारिता का कार्य कितना जोखिम भरा हो सकता है, खासकर जब वह सत्ता के खिलाफसच बोलने की कोशिश करता है। राघवेन्द्र बापजेई की हत्या ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या उत्तर प्रदेश में पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित कीजा रही है या उन्हें अपनी जान की कीमत पर सच बोलने के लिए मजबूर किया जा रहा है।


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