उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण बयान दिया, जिसमें उन्होंने संभल का ऐतिहासिक महत्व और धर्म के प्रतिसम्मान की बात की। उन्होंने कहा कि संभल का उल्लेख इस्लाम से पहले के ग्रंथों में भी किया गया है, और यह स्थान 5000 साल पुराना है। सीएमयोगी ने बताया कि संभल में श्री हरि विष्णु का एक मंदिर था, जिसे 1526 में तोड़ा गया और नष्ट कर दिया गया। उन्होंने कहा, “यह स्थान वेदों मेंवर्णित है और यहां भगवान विष्णु के भावी अवतार का भी उल्लेख किया गया है।” उन्होंने यह भी कहा कि इस्लाम का उदय केवल 1,400 साल पहलेहुआ, जबकि संभल का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व इस्लाम से कम से कम 2,000 साल पुराना है। सीएम योगी ने यह स्पष्ट किया कि इस बात केसबूत सदियों से मौजूद हैं और इनका प्रमाण इतिहास में दर्ज है।
मुख्यमंत्री ने 1526 में हुए इस ऐतिहासिक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि इस समय भगवान विष्णु के मंदिर को तोड़ दिया गया था और इसके दोसाल बाद 1528 में अयोध्या में राम मंदिर को भी तोड़ दिया गया। उन्होंने कहा कि दोनों कृत्य एक ही व्यक्ति द्वारा किए गए थे। योगी आदित्यनाथ नेयह भी कहा कि कोई भी धर्म और पूजा पद्धति पूरी दुनिया में अपनी अच्छाई के लिए जानी जाती है, और किसी की आस्था को जबरन छीनना याउनकी मान्यताओं को कुचलना अस्वीकार्य है। उन्होंने विशेष रूप से संभल के मामले को लेकर सच्चाई सामने रखने की बात की और कहा कि यहऐतिहासिक सत्य है, जिसे अब तक छिपाने का प्रयास किया गया था।
अपने बयान में योगी आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि वह हर संप्रदाय, समुदाय और पूजा पद्धति का सम्मान करते हैं। उन्होंने गोरखनाथ पीठ काउदाहरण देते हुए कहा कि वहां किसी प्रकार का भेदभाव नहीं है। गोरखनाथ पीठ में सभी जातियों, क्षेत्रों और संप्रदायों के लोग एक साथ बैठकर भोजनकरते हैं और यह एकता और समानता का प्रतीक है। योगी आदित्यनाथ ने कहा, “हमारे पूज्य संत, चाहे वे किसी भी धर्म से जुड़े हों, एक साथ बैठकरभोजन करते हैं और उन्हें समान सम्मान मिलता है।” उन्होंने भारत की वैदिक परंपरा को आत्मसात करने की बात की और कहा कि उपनिषदों में जोभावना व्यक्त की गई है, वह भारतीय समाज में गहरे तक समाहित है। उनका मानना है कि पूजा की हर पद्धति, चाहे वह सनातन धर्म से जुड़ी हो याअन्य किसी धर्म से, उसमें अंतर्निहित अच्छाइयां होती हैं, यही कारण है कि इतने लोग उन्हें मानते हैं।
सीएम योगी ने अपने बयान में विपक्षी दलों और आलोचकों पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि इन लोगों को पहले धर्मग्रंथों का अध्ययन करनाचाहिए, ताकि वे सही तरीके से बहस कर सकें। योगी आदित्यनाथ का यह बयान राजनीति में एक नई चर्चा को जन्म दे सकता है, क्योंकि उन्होंने धर्मऔर इतिहास के बीच गहरे संबंधों पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक धारा इतनी विविधतापूर्ण और समृद्ध है कि यहांसभी धर्मों और पूजा पद्धतियों को समान सम्मान मिलना चाहिए। उनके इस बयान ने भारतीय समाज में धर्म, इतिहास और राजनीति के बीच एक नईबहस को जन्म दिया है।