सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ चल रहे आपराधिक मानहानि मामले में ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर अस्थायी रूप से रोक लगा दीहै। यह मामला 2018 में कांग्रेस अधिवेशन के दौरान दिए गए राहुल गांधी के बयान से संबंधित है। उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि भाजपा केकार्यकर्ता “हत्यारे” को भी पार्टी अध्यक्ष मान लेते हैं। यह बयान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर कटाक्ष के रूप में दिया गया था।
शिकायत दर्ज होने का कारण
राहुल गांधी के बयान के बाद भाजपा कार्यकर्ता नवीन झा ने रांची की अदालत में IPC की धारा 499 के तहत आपराधिक मानहानि की शिकायतदर्ज कराई। शुरुआत में मजिस्ट्रेट ने इस शिकायत को खारिज कर दिया था। हालांकि, शिकायतकर्ता द्वारा न्यायिक आयुक्त के समक्ष अपील करने परमामला दोबारा विचार के लिए मजिस्ट्रेट के पास भेजा गया।
मजिस्ट्रेट का रुख
पुनरीक्षण के बाद मजिस्ट्रेट ने राहुल गांधी के खिलाफ प्रथम दृष्टया मानहानि का मामला बनता पाया और उन्हें समन जारी किया। इस आदेश कोराहुल गांधी ने झारखंड उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, लेकिन उनकी याचिका को खारिज कर दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट की दखल
उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उनकी ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलीलदी कि मानहानि का मुकदमा केवल वही व्यक्ति दर्ज करा सकता है, जो बयान से सीधे प्रभावित हो। उन्होंने कहा कि इस मामले में शिकायतकर्तानवीन झा सीधे प्रभावित पक्षकार नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इस तर्क को सुनने के बाद झारखंड सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी करजवाब मांगा है।
अंतरिम आदेश और आगे की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई तक ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगा दी है। दोनों पक्षों को चार सप्ताह के भीतर अपना जवाबदाखिल करने का निर्देश दिया गया है। अगली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि मानहानि का यह मामला जारी रहेगा या समाप्त होगा।
सुप्रीम कोर्ट के इस अंतरिम आदेश से राहुल गांधी को बड़ी राहत मिली है। हालांकि, मामले का अंतिम फैसला सुप्रीम कोर्ट की आगामी सुनवाई परनिर्भर करेगा।