लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने सोमवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात की। राहुलगांधी ने लोकसभा में वोटर लिस्ट के मुद्दे पर चर्चा की मांग की और कहा कि यह मुद्दा देश भर में महत्वपूर्ण हो चुका है। उन्होंने बताया कि विभिन्नराज्यों में मतदाता सूची पर सवाल उठ रहे हैं और पूरा विपक्ष इस पर चर्चा चाहता है। राहुल गांधी का कहना था कि यह एक गंभीर मुद्दा है, जिसे संसदमें उठाया जाना चाहिए ताकि जनता को इस पर साफ-साफ जानकारी मिल सके और लोकतंत्र की मूलभूत प्रक्रिया को पारदर्शी तरीके से चलाया जासके। विपक्ष का एकजुट रुख इस मुद्दे पर सरकार से चर्चा की अनुमति देने की मांग कर रहा है ताकि मतदाता सूची में संभावित धांधली और गड़बड़ियोंको सामने लाया जा सके।
इस बीच, कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर सरकार से संसद में इस मुद्दे पर चर्चा की अनुमति देने का आग्रहकिया। प्रियंका गांधी ने कहा कि देश में मतदान प्रक्रिया में गड़बड़ी और मतदाता सूची में धांधली की खबरें केवल चुनावों से पहले सामने आती हैं, जोलोकतंत्र के लिए अत्यधिक खतरनाक हैं। उन्होंने कहा कि यह समय की जरूरत है कि इस मुद्दे पर संसद में खुलकर चर्चा हो और सरकार इस पर अपनीजिद छोड़कर विपक्ष की मांगों पर ध्यान दे। प्रियंका गांधी ने कहा कि यह मुद्दा सिर्फ एक सूची का नहीं, बल्कि लोकतंत्र और संविधान की रक्षा का है।उनका कहना था कि यदि सरकार अपने रवैये में लचीलापन दिखाए, तो यह लोकतंत्र के हित में होगा। उन्होंने राहुल गांधी द्वारा उठाए गए मुद्दे कोसमर्थन देते हुए कहा कि मतदाता सूची पर चर्चा जरूरी है ताकि इस मामले की जांच की जा सके और किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को रोका जा सके।
इस बीच, विपक्षी दलों की चिंता इस बात को लेकर बढ़ी है कि मतदाता सूची में गड़बड़ी और धांधली के आरोप लगातार बढ़ते जा रहे हैं। हरियाणाऔर महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद विपक्षी पार्टियों ने वोटर लिस्ट पर सवाल उठाए थे। इसके अलावा दिल्ली में अरविंद केजरीवालने भी दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान वोटर लिस्ट पर सवाल उठाए थे, जिससे इस मुद्दे पर राजनीतिक तनाव बढ़ गया था। 6 मार्च को टीएमसी केएक प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग से मुलाकात की थी, जिसमें एक ही मतदाता फोटो पहचान पत्र (EPIC) नंबर से जुड़े फर्जी मतदाता होने केआरोप लगाए गए थे। हालांकि, चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि एक ही EPIC नंबर का मतलब यह नहीं है कि यह डुप्लिकेट या फर्जी मतदाता हैं, और मामले की गंभीरता से जांच की जाएगी। इसके बावजूद, विपक्षी पार्टियां लगातार इस मुद्दे को लेकर सरकार पर दबाव बना रही हैं, ताकि मतदातासूची की वैधता और पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।