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संसद की संयुक्त संसदीय समिति (JPC) द्वारा वक्फ (संशोधन) विधेयक पर लोकसभा में रिपोर्ट पेश करने से पहले कांग्रेस सांसद डॉ. सैयद नसीरहुसैन ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि उनकी असहमति नोट को उनकी अनुमति के बिना संपादित कर दिया गया।

असहमति नोट एडिट करने का आरोप
डॉ. सैयद नसीर हुसैन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अपनी असहमति नोट और फाइनल रिपोर्ट के कुछ पेज साझा किए। उन्होंने लिखा कि उन्होंनेविधेयक का विरोध करते हुए एक असहमति नोट प्रस्तुत किया था, लेकिन उसमें बदलाव किए गए। उन्होंने सवाल उठाया कि विपक्ष को चुप करानेकी कोशिश क्यों की जा रही है।

जेपीसी की रिपोर्ट और विपक्ष का विरोध
जेपीसी ने 30 जनवरी को अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को सौंप दी थी। इस दौरान समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल, निशिकांत दुबे और अन्य भाजपा सांसद मौजूद थे, लेकिन विपक्षी सदस्य नदारद थे। रिपोर्ट को 29 जनवरी को मंजूरी दी गई थी, जिसमें 16 सदस्यों नेसमर्थन किया और 11 ने विरोध जताया।

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी आपत्ति जताई और कहा कि 655 पन्नों की ड्राफ्ट रिपोर्ट को एक रात में पढ़ना संभव नहीं था। उन्होंने जेपीसीकी कार्यवाही को एक ‘तमाशा’ करार देते हुए संसद में विधेयक का विरोध जारी रखने की बात कही।

जेपीसी बैठक में हंगामा और विपक्षी सदस्यों का निलंबन
24 जनवरी को दिल्ली में हुई जेपीसी बैठक में विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें विधेयक में किए गए संशोधनों परशोध के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया। टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने भी समिति की कार्यवाही पर सवाल उठाए। इसके बाद, बनर्जी औरओवैसी समेत 10 विपक्षी सांसदों को एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया।

विधेयक का उद्देश्य
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के डिजिटलीकरण, बेहतर ऑडिट और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। इसके साथ ही, अवैध रूप से कब्जे वाली संपत्तियों को वापस लेने के लिए कानूनी सुधार लाना भी इस विधेयक का मकसद है।

हालांकि, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी सहित कई विपक्षी दलों ने इस विधेयक का विरोध किया है। उनका आरोप है कि यह मुस्लिम विरोधी है। 8 अगस्त 2024 को केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने इसे लोकसभा में पेश किया था, लेकिन भारी विरोध के चलते इसे बिना चर्चा के जेपीसी को भेज दियागया।

वक्फ बोर्ड पर विवाद
वक्फ बोर्ड के पास देशभर में बड़ी मात्रा में जमीन है। रिपोर्ट्स के अनुसार, वक्फ बोर्ड के पास करीब 9 लाख एकड़ जमीन है, जो दिल्ली के कुलक्षेत्रफल से लगभग तीन गुना अधिक है। यूपी सरकार की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, उत्तर प्रदेश में वक्फ की 14,000 हेक्टेयर जमीन है, जिसमें से 78% सरकारी संपत्ति है।

शिया वक्फ बोर्ड ने इस संशोधन विधेयक का विरोध किया है। समिति की पहली बैठक 22 अगस्त 2024 को हुई थी, जिसमें 44 संशोधनों पर चर्चाकी जानी थी। अब, बजट सत्र के दौरान जेपीसी की रिपोर्ट संसद में पेश की जाएगी।

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