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संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की शुक्रवार को वक्फ संशोधन बिल पर हुई बैठक में भारी हंगामा हुआ। बैठक के दौरान टीएमसी सांसद कल्याणबनर्जी और भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के बीच तीखी बहस हुई, जिसके कारण समिति को मार्शल बुलाने की जरूरत पड़ी। हंगामे के चलते विपक्षके 10 सांसदों को एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया।

कौन-कौन सांसद निलंबित हुए?
निलंबित किए गए सांसदों में कल्याण बनर्जी (टीएमसी), असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM), नसीर हुसैन (कांग्रेस), ए राजा (DMK), मोहिबुल्लाह, मोहम्मद जावेद, मोहम्मद अब्दुल्ला, नदीम-उल-हक, इमरान मसूद और अरविंद सावंत शामिल हैं। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के प्रस्ताव पर समितिने इन सांसदों को निलंबित करने का निर्णय लिया।
विपक्ष ने क्या आरोप लगाए?
बैठक में विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि भाजपा वक्फ संशोधन विधेयक को जल्द से जल्द पारित करवाने की कोशिश कर रही है, जो दिल्लीचुनाव को ध्यान में रखकर किया जा रहा है। विपक्ष का कहना है कि प्रस्तावित संशोधनों की विस्तृत समीक्षा के बिना बिल पर कोई निष्कर्ष नहींनिकाला जाना चाहिए।

दो नेताओं के बीच हुई बहस
बैठक के दौरान टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी और भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के बीच बहस इतनी बढ़ गई कि मामला मार्शल बुलाने तक पहुंचगया। इस दौरान कई विपक्षी सांसद बैठक छोड़कर बाहर चले गए। कल्याण बनर्जी ने बैठक को “तमाशा” करार दिया और मांग की कि अगले चरणकी बैठक 27 जनवरी के बजाय 30 या 31 जनवरी को आयोजित की जाए।

मीरवाइज उमर फारूक को बुलाने पर विवाद
बैठक में कश्मीर के धार्मिक प्रमुख मीरवाइज उमर फारूक को बुलाने का निर्णय लिया गया था। विपक्ष का कहना था कि जम्मू-कश्मीर के प्रतिनिधित्वको ठीक से शामिल नहीं किया गया और निर्वाचित प्रतिनिधियों की राय नहीं ली गई। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया कि मीरवाइजकी उपस्थिति में विपक्ष ने अनुचित व्यवहार किया।

कल्याण बनर्जी ने लगाया आरोप
टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने बैठक में भाजपा पर राजनीति से प्रेरित होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “हमने बार-बार बैठक की तारीख आगेबढ़ाने की मांग की, लेकिन हमारी बात अनसुनी कर दी गई। बैठक का एजेंडा अचानक बदल दिया गया, जिससे हमारी भूमिका सीमित कर दी गई।यह अघोषित आपातकाल जैसा है।”
बीजेपी ने हंगामे के बाद दिया जवाब
भाजपा सांसद और जेपीसी सदस्य अपराजिता सारंगी ने विपक्षी नेताओं पर जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल के खिलाफ असंसदीय भाषा काइस्तेमाल करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “सरकार ने बैठक में 44 संशोधन पेश किए, जिन पर पहले भी विचार-विमर्श हो चुका है। अब समितिको चर्चा समाप्त कर रिपोर्ट तैयार करनी चाहिए। लेकिन विपक्ष ने केवल हंगामा किया।”

बैठक 27 जनवरी तक स्थिगित
जेपीसी अध्यक्ष ने हंगामे के बाद बैठक को 27 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दिया। विपक्ष का कहना है कि बैठक को आगे बढ़ाने और हर पहलूपर चर्चा करने की जरूरत है। वहीं, भाजपा का कहना है कि समिति को अनिश्चित काल तक जारी नहीं रखा जा सकता।

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