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दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 से निपटने के लिए केंद्र सरकार से मिले 787.91 करोड़ रुपये में से केवल 582.84 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए, जबकि बाकी राशिबिना उपयोग के रह गई। इससे कोरोना संकट के दौरान आवश्यक सुविधाओं की कमी हुई।

रिपोर्ट में फंड के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए गए हैं। स्वास्थ्य कर्मचारियों की भर्ती और वेतन के लिए मिले 52 करोड़ रुपये में से30.52 करोड़ रुपये खर्च नहीं किए गए, जिससे महामारी के दौरान लोगों को इलाज में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। इसी तरह, दवाओं, पीपीईकिट और अन्य मेडिकल सप्लाई के लिए मिले 119.85 करोड़ रुपये में से 83.14 करोड़ रुपये खर्च नहीं हुए।

दिल्ली सरकार ने 2016-17 से 2020-21 के बीच 32,000 नए बेड जोड़ने का वादा किया था, लेकिन केवल 1,357 बेड जोड़े गए, जो कि कुललक्ष्य का मात्र 4.24% है। कई अस्पतालों में बेड की भारी कमी देखी गई, जहां बेड ऑक्यूपेंसी 101% से 189% तक रही, यानी एक ही बेड पर दोमरीजों को रखा गया या मरीजों को फर्श पर इलाज कराना पड़ा।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि दिल्ली में तीन नए अस्पतालों का निर्माण पहले की सरकार के कार्यकाल में शुरू हुआ था, लेकिन इनमें 5 से 6 सालकी देरी हुई और लागत भी बढ़ गई।

दिल्ली के सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य विभागों में 8,194 पद खाली पड़े हैं। नर्सिंग स्टाफ की 21% और पैरामेडिकल स्टाफ की 38% कमी है।राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल और जनकपुरी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में डॉक्टरों की 50-74% कमी पाई गई है।

सर्जरी के लिए लंबा इंतजार और कई उपकरण खराब होने की स्थिति भी चिंताजनक है। लोक नायक अस्पताल में बड़ी सर्जरी के लिए 2-3 महीने औरबर्न व प्लास्टिक सर्जरी के लिए 6-8 महीने का इंतजार करना पड़ा।

जरूरी सेवाओं की कमी भी स्पष्ट है। 27 अस्पतालों में से 14 में ICU सेवा उपलब्ध नहीं थी, 16 अस्पतालों में ब्लड बैंक की सुविधा नहीं थी, और12 अस्पतालों में एंबुलेंस की सुविधा नहीं थी।

मोहल्ला क्लीनिकों की स्थिति भी खराब पाई गई है। 21 मोहल्ला क्लीनिकों में शौचालय नहीं थे, 15 क्लीनिकों में बिजली बैकअप की सुविधा नहींथी, और 12 क्लीनिकों में दिव्यांगों के लिए कोई सुविधा नहीं थी।

CAG रिपोर्ट ने दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं की वास्तविकता को उजागर किया है। कोविड काल में सरकार द्वारा मिले फंड का सही उपयोग न करना, अस्पतालों में आवश्यक सुविधाओं की कमी, स्टाफ की कमी और भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। अब सरकार को इस लापरवाही का जवाब देनाहोगा।

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