उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में संभल जिले को लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है, जो राजनीति और धार्मिक आस्थाओं कोलेकर चर्चा का विषय बन गया है। उन्होंने कहा कि संभल में कुल 68 तीर्थ स्थल थे, जिनमें से अब तक केवल 18 की पहचान हो पाई है। इसके साथही, 19 प्राचीन कूपों का भी उत्खनन किया गया है, जो इस ऐतिहासिक स्थल की प्राचीनता और महत्व को दर्शाता है।
योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर 56 वर्षों के बाद संभल के शिव मंदिर में जलाभिषेक होने की बात भी की। यह एक ऐतिहासिक क्षण था, क्योंकिइस तरह की धार्मिक क्रियाएं लंबे समय से वहां नहीं हो पाई थीं। मुख्यमंत्री ने बाबर के समय में हिंदू मंदिरों के विध्वंश का भी उल्लेख किया, जो किऐतिहासिक घटनाओं को उजागर करता है और यह भी दर्शाता है कि भारत में धार्मिक संघर्षों की लंबी और जटिल इतिहास रहा है।
योगी ने कहा, “संभल जैसे तथ्य सामने आएंगे तो मुंह दिखने लायक नहीं रहेंगे।” इस बयान के साथ ही उन्होंने यह भी जताया कि उनके नेतृत्व में राज्यमें हिंदू आस्थाओं के पुनर्निर्माण और संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उनका यह बयान राजनीतिक हलकों में काफी चर्चा का कारण बना है, खासकर उन लोगों के लिए जो धार्मिक पहचान और भारतीय इतिहास के पुनर्निर्माण को लेकर सक्रिय हैं।
सीएम योगी ने यह भी कहा कि उनका उद्देश्य किसी भी समुदाय को पीछे छोड़ने का नहीं है, बल्कि वह सभी को साथ लेकर चलने का भाव रखते हैं।यह बयान राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश में विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के बीच तीव्र प्रतिस्पर्धा औरधार्मिक मुद्दों पर बहस चल रही है।
उन्होंने आगे कहा, “हमारे अंदर सभी को 0 साथ लेकर चलने का भाव है,” जो यह दर्शाता है कि सरकार का उद्देश्य हर वर्ग और धर्म के लोगों के लिएसमावेशी विकास सुनिश्चित करना है। उनके इस बयान में यह संदेश भी छिपा है कि योगी सरकार उत्तर प्रदेश के धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों कोसंजोने के प्रति प्रतिबद्ध है, और साथ ही सभी धर्मों और समुदायों के लिए समान अवसर देने की दिशा में काम कर रही है।
योगी आदित्यनाथ ने संभल को आस्था का केंद्र बताते हुए यह भी कहा कि इस जिले का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व कभी न कभी सभी के सामनेआएगा। उनके इस बयान के बाद, संभल जिले की ऐतिहासिक धरोहर और धार्मिक महत्व को लेकर सरकार की योजनाओं पर सवाल उठने कीसंभावना है। साथ ही, यह भी साफ है कि योगी आदित्यनाथ राज्य की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को मजबूती से स्थापित करने की दिशा मेंकदम उठा रहे हैं।
राजनीतिक रूप से देखें तो यह बयान उन लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है, जो धर्म, संस्कृति और भारतीय इतिहास को लेकर व्यापक चर्चा में शामिलहैं। मुख्यमंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब राज्य में आगामी चुनावों की तैयारियां चल रही हैं और धार्मिक मुद्दों पर चर्चा तेज हो गई है।
योगी आदित्यनाथ के इस बयान ने एक बार फिर से संभल जिले को राजनीतिक और धार्मिक केंद्र के रूप में उभरने का मौका दिया है, और साथ हीराज्य के धार्मिक पुनर्निर्माण की दिशा को भी स्पष्ट किया है।