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2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण का रास्ता साफ हो गया है। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने राणा की याचिकाखारिज कर दी है, जिससे भारत को उसे लाने की प्रक्रिया तेज करने में मदद मिलेगी।

कौन है राणा?
तहव्वुर राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है, जो फिलहाल लॉस एंजिल्स की जेल में कैद है। राणा पर 26/11 हमलों की साजिश रचनेवाले डेविड कोलमैन हेडली के साथ षड्यंत्र रचने और समर्थन प्रदान करने का आरोप है। हेडली ने लश्कर-ए-तैयबा के लिए मुंबई के विभिन्न स्थानों कीरेकी की थी, जो इन हमलों में अहम भूमिका निभाते थे।
कब हुआ था मुंबई हमला
26 नवंबर 2008 को, 10 आतंकवादियों ने समुद्र के रास्ते मुंबई में प्रवेश किया और कई अहम स्थानों पर हमले किए। इनमें ताज होटल, ओबेरॉयट्राइडेंट, नरीमन हाउस, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, और कामा अस्पताल जैसे स्थल शामिल थे। इन हमलों में 175 लोग मारे गए, जिनमें 9 आतंकवादीभी थे। एकमात्र जीवित पकड़े गए आतंकी अजमल कसाब को 2012 में फांसी दी गई थी।

राणा के कानूनी लड़ाई
तहव्वुर राणा ने भारत प्रत्यर्पण से बचने के लिए अमेरिकी अदालतों में कई अपीलें कीं। उसने ‘दोहरे खतरे के सिद्धांत’ का हवाला देते हुए यह तर्क दियाकि उसे अमेरिका में इसी अपराध से जुड़ी सुनवाई के लिए बरी किया जा चुका है। लेकिन अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को समझाया कि भारतमें उस पर मुकदमा चलाने से इस सिद्धांत का उल्लंघन नहीं होगा।

आखिरकार, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने राणा की याचिका खारिज कर दी, जिससे उसके भारत प्रत्यर्पण का मार्ग साफ हो गया।

भारत के लिए क्या है महत्व?
भारत कई वर्षों से राणा के प्रत्यर्पण की मांग कर रहा था। उसके भारत लाए जाने के बाद जांच एजेंसियां हमले की साजिश और इसमें शामिल अन्यलोगों की भूमिका की गहराई से पड़ताल कर सकेंगी।

आगे की कानूनी प्रक्रिया
राणा को भारत लाने के लिए अब दोनों देशों के अधिकारी समन्वय करेंगे। प्रत्यर्पण के बाद, उस पर भारतीय अदालतों में मुकदमा चलाया जाएगा।यह मामला आतंकवाद के खिलाफ भारत और अमेरिका के सहयोग का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है और भविष्य में दोनों देशों के बीच सुरक्षा साझेदारीको और मजबूत करेगा।

न्याय की ओर एक और कदम
राणा का भारत प्रत्यर्पण न केवल 26/11 हमले के पीड़ितों के लिए न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में अहम कदम है, बल्कि यह वैश्विक स्तर परआतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख का भी प्रतीक है। यह दर्शाता है कि आतंकवाद के दोषियों को न्याय के दायरे में लाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदायएकजुट है।

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