Supreme Court: जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र वर्मा की बेंच ने 11 फरवरी को ये फैसला सुनाया. आरोपी पर एक सरकारीकर्मचारियो को पाकिस्तानी कहने का आरोप था. जबकि वह अपने अधिकारी कर्तव्यों का निर्वहन कर रहा था. सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक मामलेकी सुनवाई करते हुए कहा कि किसी को मियां- तियां या ‘पाकिस्तान’ कहना अपराध नहीं है. कोर्ट ने कहा कि यह भले ही गलत हो लेकिन भारतीय दंडसंहिता आईपीसी (IPC)की धारा 298 के तहत धार्मिक भावनाओं को ठोस पहुंचने का अपराध नहीं है. यह आईपीसी(IPC) की धारा 298 के तहतधार्मिक भावनाओं को ठोस पहुंचने के अपराध के बराबर नहीं हैं.
आरोपी को किया गया आरोप मुक्त
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए हरिनंदन सिंह बनाम राजस्थान मामले में आरोपी को आरोप मुक्त किया. कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 298 भावनाओं को ठेस पहुंचाने की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने तो ठेस पहुंचाने के इरादे से शब्द के तहत अपराध के आरोपी व्यक्ति को आरोपमुक्तकर दिया. बोलने के तहत अपराध के आरोपी व्यक्ति को आरोप मुक्त कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा की अपीलकर्ता पर है कि उसने शख्स को मियांतियां और पाकिस्तान कहकर उसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है. जस्टिस बीवी नागिरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने 11 फरवरी को ये किया फैसला सुनाया. जिसके बाद वह आरोपी पर एक सरकारी कर्मचारियों को पाकिस्तानी कहने का आरोप था जबकि अपराधिककर्तव्यों का निर्वहन कर रहा था.
सर्वोच्च न्यायालय ने सुनाया फैसला
सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 353 के तहत आरोप कायम रखने के लिए हमले का प्रयोग कोई सबूत नहींअदालत ने कहा है कि उच्च न्यायालय ने इस प्रावधान के तहत आरोपी को आरोप मुक्त न करके गलती की है. इसके बाद अदालत ने कहा किभारतीय दंड संहिता की धारा 504 भी लागू नहीं होती. क्योंकि सिंह की ओर से ऐसा कोई कार्य नहीं किया गया. जिससे शांति भंग हो सकती है धारा298 के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि सिंह की टिप्पणी अनुचित थी. लेकिन आईपीसी के तहत धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिएकानूनी तौर पर पर्याप्त नहीं थी नतीजा सिंह को सभी आरोपों से बड़ी कर दिया गया.