प्रयागराज में महाकुंभ 2025 के दौरान मौनी अमावस्या के पावन अवसर पर एक हृदयविदारक घटना सामने आई। संगम में पवित्र स्नान के लिए उमड़ीभारी भीड़ में भगदड़ मचने से कम से कम 40 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई अन्य घायल हुए हैं। बुधवार, 29 जनवरी 2025 की सुबह यह हादसातब हुआ जब लाखों श्रद्धालु धार्मिक अनुष्ठान के लिए एकत्रित हुए थे। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, भीड़ अत्यधिक बढ़ जाने और अव्यवस्थित होने केकारण यह दुर्घटना घटी। वहीं अब पुलिस ने परिजनों को 20 मृतकों के शव सौंप दिए गए हैं।
कैसे हुई भगदड़?
शुरुआती रिपोर्टों के अनुसार, भगदड़ तब शुरू हुई जब श्रद्धालुओं ने संतों के जुलूस के दौरान बैरिकेड्स को पार करने की कोशिश की। इस दौरानअत्यधिक भीड़ के दबाव में कई लोग गिर गए और अफरा-तफरी मच गई। इससे कई श्रद्धालु कुचले गए और कुछ की दम घुटने से मौत हो गई।स्थानीय प्रशासन ने अभी तक मृतकों की आधिकारिक संख्या की पुष्टि नहीं की है, लेकिन विभिन्न सूत्रों के अनुसार, यह संख्या 15 से 39 के बीच होसकती है।
प्रधानमंत्री और सरकार की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने ट्वीट कर कहा,”प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान हुई भगदड़ की घटना अत्यंतदुखद है। मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिवारों के साथ हैं।” वहीं उत्तर प्रदेश सरकार ने हादसे की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं और घायलों केउचित इलाज के लिए सभी आवश्यक प्रबंध किए जा रहे हैं। प्रशासन ने मेला क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था को और कड़ा कर दिया है ताकि आगे कोईअप्रिय घटना न हो।
मेला क्षेत्र में यातायात प्रतिबंध लागू
मौनी अमावस्या और अन्य प्रमुख स्नान पर्वों को ध्यान में रखते हुए प्रयागराज शहर को ‘नो व्हीकल जोन’ घोषित किया गया है।शहर के सभी प्रवेशबिंदु बंद कर दिए गए हैं। मेला क्षेत्र में वाहनों के प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है।श्रद्धालुओं को बाहरी क्षेत्रों में पार्किंग उपलब्ध कराई गई है, जहां से शटल बस, सीएनजी ऑटो और ई-रिक्शा के जरिए उन्हें मेला क्षेत्र तक पहुंचाया जा रहा है।
सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम
महाकुंभ 2025 में भारी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने कई सुरक्षा उपाय किए हैं, बता दें कि मेला क्षेत्र में 50,000 से अधिकपुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। भीड़ प्रबंधन के लिए सैकड़ों सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। 1700 से अधिक साइन बोर्ड और 230 डिजिटलडिस्प्ले बोर्ड स्थापित किए गए हैं ताकि श्रद्धालुओं को दिशा-निर्देश दिए जा सकें।
आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं
घायलों के इलाज के लिए मेला क्षेत्र में अस्थायी अस्पताल और प्राथमिक चिकित्सा केंद्र बनाए गए हैं। एम्बुलेंस और मेडिकल टीम को लगातार तैनातरखा गया है। मेला क्षेत्र के आसपास 24 सैटेलाइट टाउन विकसित किए गए हैं, जहां प्राथमिक चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
पहले भी हो चुके हैं ऐसे हादसे
महाकुंभ जैसे बड़े आयोजनों में भीड़ नियंत्रण एक बड़ी चुनौती रहा है। इससे पहले 1954 और 2013 में भी भगदड़ की घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें कईलोगों की जान गई थी। प्रशासन ने इस बार विशेष सुरक्षा उपाय किए थे, लेकिन फिर भी यह दुर्भाग्यपूर्ण हादसा हो गया।
आगे की कार्रवाई और प्रशासन की अपील
राज्य सरकार ने घटना की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके। प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील कीहै कि वे निर्देशों का पालन करें और अनुशासन बनाए रखें। सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया जा रहा है ताकि महाकुंभ 2025 के शेष दिनों मेंश्रद्धालु सुरक्षित और सुगमता से धार्मिक अनुष्ठान कर सकें।