रूस निर्मित एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम, जिसे दुनिया की सबसे प्रभावशाली वायु रक्षा प्रणाली माना जाता है, का चौथा स्क्वाड्रन इस साल के अंततक भारत को मिलने की संभावना है। इससे पहले, भारत ने इस प्रणाली के तीन स्क्वाड्रन प्राप्त कर लिए हैं, जिन्हें देश के सामरिक महत्व वाले क्षेत्रों मेंतैनात किया गया है।
चीन और पाकिस्तान की साजिशों पर रोक
एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की तैनाती से भारत की पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं की सुरक्षा को पहले से अधिक मजबूत किया गया है। सिलीगुड़ीकॉरिडोर में इसकी तैनाती चौकसी बढ़ाने के उद्देश्य से की गई है, जबकि पठानकोट और पश्चिमी सीमा पर इसकी उपस्थिति जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात की सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है। यह अत्याधुनिक प्रणाली चीन और पाकिस्तान की किसी भी साजिश या हरकत परकड़ी नजर रखने और उसे नाकाम करने में सक्षम है।
2018 में हुई थी 35,000 करोड़ की डील
2018 में भारत और रूस के बीच एस-400 के पांच स्क्वाड्रन की डील पर सहमति बनी थी, जिसकी लागत लगभग 35,000 करोड़ रुपये थी। चौथास्क्वाड्रन 2025 के अंत तक भारत आ सकता है, जबकि पांचवां स्क्वाड्रन 2026 में मिलने की उम्मीद है।
एस-400 की क्षमताएं?
एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम अपनी बेहतरीन क्षमताओं के लिए जाना जाता है। यह प्रणाली एक साथ 72 मिसाइल लॉन्च करने में सक्षम है, जिससेदुश्मन के किसी भी हमले को आसानी से नाकाम किया जा सकता है। यह माइनस 50 डिग्री से लेकर 70 डिग्री तक के अत्यधिक तापमान में भीप्रभावी ढंग से काम कर सकती है। इसके अलावा, यह घात लगाकर किए गए हमलों का तुरंत जवाब देने में सक्षम है, जिससे इसे बेहद घातक औरकारगर बनाया गया है। इसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जाया जा सकता है, जो इसकी उपयोगिता को और बढ़ाता है।
भारतीय वायुसेना को मिलेगी मजबूती
एस-400 की तैनाती से भारतीय वायुसेना की ताकत में जबरदस्त इजाफा हुआ है। यह सिस्टम सीमा पर सतर्कता बढ़ाने और दुश्मनों की साजिशों कोविफल करने के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण कदम है।
एस-400 की पूरी तैनाती के बाद भारत की सुरक्षा इजरायल जैसी मजबूत और अत्याधुनिक हो जाएगी।