भारत और कतर ने अपने आर्थिक और रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। दोनों देशों ने अगले पांच वर्षों मेंद्विपक्षीय व्यापार को दोगुना कर 28 अरब डॉलर तक पहुंचाने का संकल्प लिया है। इस बैठक में दोनों देशों ने आपसी सहयोग को रणनीतिकसाझेदारी के स्तर तक ले जाने पर सहमति व्यक्त की। इस संदर्भ में भारत और कतर के बीच एक महत्वपूर्ण समझौते का भी आदान-प्रदान किया गया।
वर्तमान में 15 अरब डॉलर का व्यापार
वर्तमान में भारत और कतर के बीच द्विपक्षीय व्यापार करीब 15 अरब डॉलर का है। कतर ने भारत में अब तक 1.5 अरब डॉलर से अधिक का निवेशकिया है, जिसमें टेलीकॉम, रिटेल और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों में उसकी भागीदारी प्रमुख है। कतर के हालिया निवेशों में रिलायंस रिटेल वेंचर्स में 1 अरब डॉलर और 2023 में इंडोस्पेस लॉजिस्टिक्स पार्क्स में 393 मिलियन डॉलर का निवेश शामिल है। इस बैठक में भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर और कतर के विदेश मंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान बिन जसीम अल थानी समेत कई शीर्ष अधिकारियों ने भाग लिया। बैठक मेंव्यापार, प्रौद्योगिकी और ऊर्जा सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को और अधिक विस्तार देने पर चर्चा हुई।
भारत-जीसीसी एफटीए पर बातचीत
बैठक के दौरान भारत और खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के बीच संभावित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को लेकर भी चर्चा हुई। विदेशमंत्रालय के सीपीवी और ओआईए सचिव अरुण कुमार चटर्जी ने कहा कि दोनों पक्ष भारत-जीसीसी एफटीए पर आगे विचार कर रहे हैं और भविष्य मेंद्विपक्षीय स्तर पर भी इस पर बातचीत की संभावना को तलाश रहे हैं। इसके अलावा, कराधान को लेकर भी दोनों देशों के बीच सहमति बनी, जिसमेंदोहरे कराधान से बचने और राजकोषीय चोरी रोकने पर विशेष जोर दिया गया।
ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग पर बल
भारत और कतर के बीच ऊर्जा संबंध हमेशा से द्विपक्षीय सहयोग का एक महत्वपूर्ण स्तंभ रहे हैं। कतर, भारत को तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) और तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) की आपूर्ति करने वाले सबसे बड़े देशों में से एक है। दोनों देशों के नेताओं ने इस ऊर्जा सहयोग को औरविस्तार देने की जरूरत पर बल दिया।
फरवरी 2024 में कतर की सरकारी ऊर्जा कंपनी Qatar Energy ने भारत की Petronet LNG के साथ अपने दीर्घकालिक एलएनजी आपूर्तिसमझौते को 2048 तक के लिए बढ़ा दिया, जिसकी अनुमानित कीमत 78 अरब डॉलर बताई जा रही है। इस समझौते के तहत भारत कोदीर्घकालिक और स्थिर ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी।