प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में भारतीय नौसेना को तीन अत्याधुनिक युद्धपोत सौंपे, जो देश की समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा कदम है। इनतीनों युद्धपोतों का निर्माण पूरी तरह से भारत में किया गया है, जो स्वदेशी रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की ओर भारत की प्रगति का प्रतीक है।
युद्धपोतों की प्रमुख विशेषताएं
1. *आईएनएस मयूर: अत्याधुनिक डिस्ट्रॉयर*
आईएनएस मयूर, एक गाइडेड-मिसाइल डिस्ट्रॉयर, भारतीय नौसेना की “प्रोजेक्ट 15बी” योजना के तहत बनाया गया है।
– *वजन और गति*: यह 7,400 टन वजनी जहाज 30 समुद्री मील की गति से चल सकता है।
– *तकनीकी क्षमताएं*: जहाज में उन्नत रडार, मिसाइल और हथियार प्रणाली लगाई गई हैं।
– *मल्टी-थ्रेट कार्यक्षमता*: इसे हवा, समुद्र और पानी के नीचे की लड़ाई के लिए डिज़ाइन किया गया है।
यह स्वदेशी शिपयार्ड द्वारा निर्मित जहाज भारतीय रक्षा उद्योग की प्रगति का प्रमाण है।
2. *आईएनएस विराट: स्टेल्थ फ्रिगेट*
आईएनएस विराट को “प्रोजेक्ट 17ए” के तहत विकसित किया गया है।
– *स्टेल्थ क्षमता*: यह दुश्मन के रडार से बचने में सक्षम है।
– *मल्टी-रोल ऑपरेशन*: यह पनडुब्बी रोधी युद्ध और समुद्री गश्त के लिए आदर्श है।
– *स्वदेशी योगदान*: इसमें इस्तेमाल होने वाले 75% उपकरण भारत में बनाए गए हैं।
यह जहाज भारत की तकनीकी क्षमता और आत्मनिर्भरता का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
3. आईएनएस वज्र: अत्याधुनिक पनडुब्बी
आईएनएस वज्र “प्रोजेक्ट 75” के तहत विकसित डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी है।
– *अदृश्य संचालन*: स्टेल्थ तकनीक इसे दुश्मनों की नज़र से बचाती है।
– *आधुनिक हथियार प्रणाली*: इसमें टॉरपीडो, एंटी-शिप मिसाइल और माइन बिछाने की सुविधाएं हैं।
– *गहन निगरानी क्षमता*: यह गहरे समुद्र में दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखने में सक्षम है।
यह पनडुब्बी भारतीय समुद्री सीमाओं की रक्षा के लिए अत्यधिक उपयोगी है।
प्रधानमंत्री का संदेश
इस ऐतिहासिक अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “ये तीनों युद्धपोत भारत की तकनीकी क्षमता और स्वदेशी रक्षा उत्पादन की सफलता का प्रतीकहैं। ये आत्मनिर्भर भारत अभियान को नई ऊंचाई पर ले जाने वाले कदम हैं।” उन्होंने भारतीय नौसेना की प्रशंसा करते हुए कहा कि ये युद्धपोत देश कीसमुद्री सीमाओं की सुरक्षा को और सशक्त बनाएंगे।
मेक इन इंडिया” की बड़ी उपलब्धि
इन युद्धपोतों का निर्माण भारतीय शिपयार्ड जैसे मजगांव डॉक लिमिटेड (MDL) और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) द्वारा कियागया है।
– *स्वदेशी सामग्री का उपयोग*: 75% उपकरण भारत में निर्मित किए गए।
– *रोजगार सृजन*: निर्माण प्रक्रिया ने 20,000 से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान किया।
– *तकनीकी विशेषज्ञता*: स्वदेशी निर्माण से भारत की समुद्री तकनीकी क्षमताएं मजबूत हुई हैं।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य
तीनों युद्धपोतों की एक साथ कमीशनिंग ने भारत की समुद्री ताकत को विश्व स्तर पर प्रदर्शित किया है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भारत कीस्थिति हिंद महासागर क्षेत्र में और मजबूत होगी।
तीन युद्धपोतों की कमीशनिंग भारतीय नौसेना के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह न केवल भारत की रक्षा क्षमताओं को नई ऊंचाई प्रदान करताहै, बल्कि वैश्विक समुद्री शक्ति के रूप में भारत की स्थिति को भी मजबूत करता है। यह आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने और स्वदेशीनवाचार को बढ़ावा देने का प्रतीक है।