बेंगलुरु के एआई इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या के बाद उनके चार वर्षीय बेटे की कस्टडी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। अतुल कीमां, अंजू देवी, ने पोते की कस्टडी की मांग की थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज करते हुए कहा कि बच्चा अपनी दादी के लिए”अजनबी” है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि कस्टडी से जुड़े मुद्दे निचली अदालत में उठाए जाने चाहिए।
सुनवाई के दौरान, अतुल की पत्नी निकिता सिंघानिया के वकील ने जानकारी दी कि बच्चा हरियाणा के फरीदाबाद में एक बोर्डिंग स्कूल में है। बच्चेको बेंगलुरु लाने की योजना है, ताकि वह अपनी मां के साथ रह सके। सुप्रीम कोर्ट ने बच्चे को 20 जनवरी 2025 को अगली सुनवाई में पेश करने कानिर्देश दिया है।
अतुल की आत्महत्या का कारण
34 वर्षीय अतुल सुभाष एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे, जो बेंगलुरु में काम करते थे। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के निवासी अतुल ने दिसंबर 2024 मेंआत्महत्या कर ली। अपने 24 पन्नों के सुसाइड नोट में उन्होंने पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया, और एक फैमिली कोर्ट की जज परप्रताड़ना और दहेज कानून के दुरुपयोग का आरोप लगाया।
अतुल ने अपने नोट में लिखा कि वह “सिस्टम से तंग” आ चुके थे और दहेज कानून के गलत इस्तेमाल के कारण मानसिक तनाव में थे।
कानूनी विवाद और आरोप
अतुल की आत्महत्या के बाद निकिता सिंघानिया और उनके परिवार के सदस्यों पर आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज हुआ। निकिता औरउनके परिवार ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वे निर्दोष हैं। इस विवाद के चलते सोशल मीडिया पर निकिता को आलोचनाओं का सामनाकरना पड़ा, जिससे उनकी कंपनी एक्सेंचर ने उनका प्रोफाइल निलंबित कर दिया।
समाज पर प्रभाव और बहस
यह घटना दहेज कानून के कथित दुरुपयोग और न्याय प्रणाली की विफलता पर सवाल खड़े करती है। अतुल के परिजनों और ग्रामीणों का मानना हैकि इस घटना ने समाज को दहेज कानून के गलत इस्तेमाल पर विचार करने के लिए मजबूर किया है।
मामले की स्थिति
अतुल के सुसाइड नोट और वीडियो को मामले की जांच के लिए महत्वपूर्ण साक्ष्य माना जा रहा है। मामले में कानूनी कार्यवाही जारी है, और बच्चे कीकस्टडी पर अंतिम फैसला आना बाकी है।