कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार को राज्यसभा में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) से संबंधित मुद्दे उठाए। उन्होंने जनगणना मेंहो रही देरी को लेकर सरकार पर सवाल खड़े किए और एनएफएसए के तहत लाभार्थियों की संख्या को अद्यतन करने की मांग की।
एनएफएसए का उद्देश्य और इसकी भूमिका
सोनिया गांधी ने याद दिलाया कि सितंबर 2013 में यूपीए सरकार द्वारा लागू किया गया यह कानून हर नागरिक को खाद्यान्न और पोषण उपलब्धकराने के उद्देश्य से लाया गया था। उन्होंने कहा कि इस योजना ने देशभर में करोड़ों लोगों को खाद्यान्न उपलब्ध कराने में अहम भूमिका निभाई, खासतौर पर कोविड महामारी के दौरान। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह योजना भी इसी कानून परआधारित है।
जनगणना के आंकड़ों पर आधारित है एनएफएसए
सोनिया गांधी ने बताया कि एनएफएसए के तहत 75% ग्रामीण और 50% शहरी आबादी को सब्सिडी पर अनाज दिया जाता है। हालांकि, उन्होंनेइस बात पर चिंता जताई कि लाभार्थियों की संख्या अब भी 2011 की जनगणना पर आधारित है। 2011 के बाद से अब तक जनसंख्या में हुएबदलाव को ध्यान में नहीं रखा गया है।
जनगणना में देरी पर सवाल
सोनिया गांधी ने कहा कि आजाद भारत के इतिहास में यह पहली बार है जब हर 10 साल पर होने वाली जनगणना में इतनी लंबी देरी हो रही है।उन्होंने कहा कि 2021 में जनगणना होनी थी, लेकिन चार साल बीतने के बावजूद इसकी कोई निश्चित समयसीमा नहीं तय की गई है। उन्होंने सरकारसे इस प्रक्रिया को जल्द शुरू करने की अपील की।
फूड सिक्योरिटी को बताया मूलभूत अधिकार
सोनिया गांधी ने जोर देकर कहा कि खाद्य सुरक्षा कोई विशेषाधिकार नहीं बल्कि हर नागरिक का बुनियादी अधिकार है। उन्होंने सरकार से आग्रह कियाकि जनगणना शीघ्र कराई जाए ताकि एक भी पात्र व्यक्ति इस योजना के लाभ से वंचित न रह सके।