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दिल्ली सरकार की अब रद्द हो चुकी नई आबकारी नीति पर नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट ने एक बड़ा खुलासा किया है। रिपोर्टमें दावा किया गया है कि इस नीति के कारण दिल्ली सरकार के खजाने को 2,026 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। यह पहली बार है जब कथितशराब घोटाले के वित्तीय असर को लेकर ऐसा आंकड़ा सार्वजनिक किया गया है।

*क्या है मामला?*
दिल्ली सरकार ने नवंबर 2021 में नई आबकारी नीति लागू की थी। इसका उद्देश्य शराब के कारोबार को व्यवस्थित करना और राजस्व बढ़ाना बतायागया था। हालांकि, इस नीति को लेकर विपक्षी दलों ने घोटाले के आरोप लगाए थे। बाद में, जुलाई 2022 में सरकार ने इस नीति को वापस लेलिया। अब कैग की रिपोर्ट ने इन आरोपों को और हवा दी है।

कैग की रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

1. राजस्व में कमी
कैग रिपोर्ट के अनुसार, नई आबकारी नीति के चलते सरकारी खजाने को 2,026 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। रिपोर्ट में इस बात पर भी सवालउठाए गए कि क्यों शराब लाइसेंस जारी करने में प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया।

2. अनियमितताएं:
रिपोर्ट में कहा गया है कि नई नीति बनाते समय कई नियमों और प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया गया। शराब विक्रेताओं को अनुचित लाभ पहुंचाने काआरोप भी रिपोर्ट में शामिल है।

3. आबकारी विभाग पर सवाल
रिपोर्ट में आबकारी विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े किए गए हैं। इसमें आरोप है कि शराब लाइसेंस देने के लिए निर्धारित मापदंडों कापालन नहीं किया गया।

4. नियमों में बदलाव
कैग ने यह भी पाया कि शराब नीति लागू होने के बाद कई बार नियमों में बदलाव किया गया, जिससे कुछ कंपनियों को फायदा हुआ।
*राजनीतिक प्रक्रिया*

भाजपा का दावा
भाजपा ने कैग रिपोर्ट को आधार बनाकर दिल्ली सरकार और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा है। पार्टी ने इसे “शराब घोटाले” काप्रमाण बताया है और मुख्यमंत्री से इस्तीफा मांगा है।

आम आदमी पार्टी की सफाई
आम आदमी पार्टी (आप) ने इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया है। पार्टी का कहना है कि कैग की रिपोर्ट में कुछ सुझाव दिए गए हैं, लेकिन इसेघोटाला कहना गलत है। आप ने भाजपा पर संस्थाओं का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया।

*कैसे हुआ नुकसान?*
रिपोर्ट के अनुसार, नई शराब नीति के तहत शराब लाइसेंस फीस में छूट दी गई और कुछ बड़े कॉरपोरेट समूहों को अनुचित लाभ दिया गया। साथ ही, लाइसेंस फीस में देरी से भुगतान की अनुमति देकर सरकार ने राजस्व का नुकसान किया।

भ्रष्टाचार के आरोप
कैग की रिपोर्ट ने उन आरोपों को मजबूती दी है जो दिल्ली सरकार पर पहले से लगते रहे हैं। भाजपा का कहना है कि इस नीति को लागू करने काउद्देश्य कुछ कंपनियों को लाभ पहुंचाना था। विपक्ष ने यह भी सवाल उठाया कि नीति को अचानक वापस क्यों लिया गया।

भविष्य पर असर
कैग की रिपोर्ट से दिल्ली सरकार पर राजनीतिक दबाव बढ़ सकता है। इससे पहले, इस मुद्दे पर केंद्रीय एजेंसियों ने जांच शुरू की थी। रिपोर्ट काइस्तेमाल भाजपा आगामी चुनावों में आप सरकार के खिलाफ बड़े मुद्दे के रूप में कर सकती है।

कैग की रिपोर्ट से दिल्ली सरकार की शराब नीति पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। इसमें 2,026 करोड़ रुपये के नुकसान की बात कही गई है, जो बड़ाआंकड़ा है। हालांकि, इसे लेकर आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच बयानबाजी तेज हो गई है। जहां एक ओर भाजपा इसे घोटाला बता रही है, वहीं आप इसे राजनीति से प्रेरित आरोप मान रही है। आगे देखना होगा कि इस रिपोर्ट के आधार पर क्या कानूनी और राजनीतिक कदम उठाए जाते हैं।

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