दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों मेंमुकदमा चलाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को अनुमति दे दी है। यह निर्णय दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पहलेलिया गया है, जिससे आम आदमी पार्टी (AAP) की चुनावी रणनीति प्रभावित हो सकती है।
मामले का सारांश
2021-22 में दिल्ली सरकार की आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं। आरोप है कि केजरीवाल औरसिसोदिया ने शराब कारोबारियों को लाभ पहुंचाने के लिए नीति में बदलाव किए और इसके बदले में 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली। इस राशि काएक हिस्सा गोवा विधानसभा चुनाव प्रचार में भी इस्तेमाल हुआ था।
*प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई
प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में चार्जशीट दायर की है, जिसमें केजरीवाल और सिसोदिया को मास्टरमाइंड के रूप में आरोपित किया गया है। ईडीका कहना है कि दोनों नेताओं ने शराब व्यापारियों को फायदा पहुंचाने के लिए आबकारी नीति में बदलाव किए और बदले में रिश्वत ली।
*गृह मंत्रालय की मंजूरी*
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, पब्लिक सर्वेंट के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए प्राधिकृत निकाय से अनुमति प्राप्त करना आवश्यक होता है।इस संदर्भ में गृह मंत्रालय ने प्रवर्तन निदेशालय को केजरीवाल और सिसोदिया पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव पर प्रभाव
दिल्ली विधानसभा चुनाव 5 फरवरी 2025 को होने हैं, और इस मामले के दौरान केजरीवाल और सिसोदिया पर मुकदमा चलाने की अनुमति मिलने सेआम आदमी पार्टी की चुनावी रणनीति पर असर पड़ सकता है। हालांकि, पार्टी ने कहा है कि अभी तक कोई ठोस प्रमाण नहीं मिले हैं और यह आरोपराजनीतिक प्रेरणा से प्रेरित हो सकते हैं।
शराब घोटाला: नीति में बदलाव और रिश्वतखोरी
दिल्ली में 2021-22 के दौरान लागू की गई आबकारी नीति में कथित भ्रष्टाचार और अनियमितताएं सामने आईं। आरोप है कि इस नीति के जरिएशराब कारोबारियों को लाभ पहुंचाने के लिए उसमें जानबूझकर बदलाव किए गए थे। दो मुख्य पहलू इस मामले में सामने आए हैं:
1. लाइसेंसिंग प्रणाली में बदलाव: आबकारी नीति में बदलाव के बाद शराब के वितरण और बिक्री की जिम्मेदारी व्यापारियों के पास आ गई, जिससेबिचौलियों की भूमिका बढ़ी और शराब की कीमतों में असमानताएं आईं।
2. रिश्वतखोरी का आरोप: आरोप है कि सरकार के नेताओं ने शराब कारोबारियों से रिश्वत ली, ताकि उन्हें लाइसेंस देने में मदद की जा सके और नियमोंमें बदलाव किए जा सकें। यह राशि कथित रूप से आम आदमी पार्टी (AAP) के चुनावी प्रचार में उपयोग की गई।
मुख्य आरोपित व्यक्ति
अरविंद केजरीवाल (मुख्यमंत्री, दिल्ली):केजरीवाल पर आरोप है कि उन्होंने शराब नीति में बदलाव किए और शराब कारोबारियों को लाभ पहुंचाया।इसके बदले में रिश्वत लेने का आरोप है।
मनीष सिसोदिया (पूर्व उपमुख्यमंत्री, दिल्ली):सिसोदिया को भी इस घोटाले का प्रमुख मास्टरमाइंड माना गया है। उन पर भी शराब नीति मेंअनियमितताएं करने और रिश्वत लेने के आरोप हैं।
कौन थे गिरफ्तार?
इस मामले में कई लोग गिरफ्तार किए गए:
– *मनीष सिसोदिया:* 2023 में मनीष सिसोदिया को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया था। बाद में उन्हें न्यायिकहिरासत में भेजा गया।
– *शराब कारोबारी और बिचौलिये:* कुछ शराब कारोबारी और बिचौलिये भी गिरफ्तार किए गए, जिन्होंने कथित रूप से रिश्वत दी थी और घोटाले मेंसंलिप्त थे।
अब तक की स्थिति
1. *चार्जशीट और गिरफ्तारियां:* प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने चार्जशीट दायर की है और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाए हैं। कई आरोपितों कोगिरफ्तार किया गया है, और मामले की जांच जारी है।
2. *राजनीतिक असर:* इस मामले का राजनीतिक असर भी पड़ा है। आम आदमी पार्टी ने आरोपों को खारिज करते हुए इसे राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता काहिस्सा बताया है। पार्टी ने आरोपों को चुनावी हथकंडा बताया है।
3. गृह मंत्रालय की मंजूरी
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, पब्लिक सर्वेंट के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए गृह मंत्रालय से अनुमति ली गई है, और अब प्रवर्तन निदेशालयके पास केस को आगे बढ़ाने का अधिकार है।
यह मामला अभी भी अदालत में है, और जांच और कानूनी प्रक्रिया जारी है। दिल्ली विधानसभा चुनावों के नजदीक आने से इस मामले ने राजनीति मेंहलचल मचाई है। आगे की कार्रवाई अदालत और जांच के परिणामों पर निर्भर करेगी।