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दिल्ली विधानसभा में सोमवार को एक बार फिर हंगामे का माहौल था। आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायकों ने सदन में जमकर हंगामा किया औरविधानसभा में नियमों का उल्लंघन करते हुए धक्का-मुक्की और शोर-शराबा किया। आज सदन में विशेष रूप से कैग (CAG) रिपोर्ट पर चर्चा होनीथी, लेकिन उससे पहले ही आम आदमी पार्टी के विधायकों ने अपनी नाराजगी व्यक्त की और इसे लेकर हंगामा शुरू कर दिया।

AAP विधायकों की हंगामेदार एंट्री
सोमवार को दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी के सभी 22 विधायक मौजूद थे। जिन 21 विधायकों को पहले सस्पेंड किया गया था, उनकानिलंबन आज समाप्त हो गया था। इसके बाद, ये सभी विधायक सदन में पहुंचे और चर्चा के दौरान तगड़ा विरोध शुरू कर दिया। विधानसभा में कैगरिपोर्ट पर चर्चा होनी थी, लेकिन उससे पहले ही आम आदमी पार्टी के विधायकों ने इसे लेकर हंगामा खड़ा कर दिया।

बीजेपी विधायक के साथ AAP विधायकों की टोका-टोकी
दिल्ली विधानसभा में नियम 280 के तहत चर्चा शुरू हो रही थी। रिठाला से बीजेपी विधायक कुलवंत राणा अपनी बात रख रहे थे, लेकिन उसी दौरानआम आदमी पार्टी के विधायकों ने उन्हें लगातार टोका-टाकी करना शुरू कर दिया। इस दौरान आप विधायक संजीव झा और बीजेपी विधायककुलवंत राणा के बीच बहस भी हो गई। बीजेपी विधायक राणा इस घटनाक्रम से नाराज हो गए और इसका विरोध किया। हंगामा बढ़ने पर स्पीकर कोअपने स्थान से उठकर मामले को शांत करना पड़ा।
सीएजी रिपोर्ट पर तीखा विवाद
दिल्ली सरकार के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने सीएजी रिपोर्ट को लेकर भाजपा का पक्ष रखा और आप सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा, “सीएजी रिपोर्ट ने आम आदमी पार्टी की सरकार की सभी अनियमितताओं का खुलासा किया है। आप सरकार का स्वास्थ्य मॉडल केवल लोगों काध्यान भटकाने और पैसे इकट्ठा करने का एक जरिया बनकर रह गया था। कोरोना महामारी के दौरान इस स्वास्थ्य मॉडल की कमी के कारण कई लोगअपनी जान गंवा बैठे।” सिरसा ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मॉडल में भारी भ्रष्टाचार था और उसने इस दौरान अपनी जिम्मेदारीनिभाने के बजाय अन्य मुद्दों पर ध्यान दिया।

आशीष सूद ने AAP सरकार पर हमला बोला
दिल्ली के मंत्री आशीष सूद ने भी सीएजी रिपोर्ट पर सवाल उठाए और आप सरकार के घोटालों का खुलासा किया। उन्होंने कहा, “सीएजी रिपोर्ट केहर पन्ने के साथ दिल्ली सरकार के घोटाले सामने आ रहे हैं। जब दिल्ली के लोगों को ऑक्सीजन की जरूरत थी, जब उन्हें मोहल्ला क्लीनिक कीजरूरत थी, तब दिल्ली सरकार अपना शीश महल बनाने में व्यस्त थी। हाई कोर्ट और सीएजी ने उनके ‘मोहल्ला क्लीनिक’ और तथाकथित स्वास्थ्यमॉडल पर गंभीर आरोप लगाए हैं।”

आशीष सूद ने आरोप लगाया कि आप सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं की बजाय अपनी छवि बनाने के लिए न केवल पैसे खर्च किए, बल्कि लोगों केजीवन की कोई चिंता नहीं की। उनका कहना था कि जिन चीजों की जरूरत थी, जैसे कि ऑक्सीजन, मेडिकल सुविधाएं, मोहल्ला क्लीनिक आदि, उनकी बजाय सरकार ने अपनी छवि को चमकाने में समय और संसाधन लगाए।

AAP के हंगामे के बीच गोपाल राय की प्रतिक्रिया

आप विधायकों के हंगामे के दौरान दिल्ली विधानसभा में आप पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधायक गोपाल राय ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंनेआरोप लगाया कि विधानसभा सत्र की शुरुआत में ही स्पीकर ने तानाशाही रवैया अपनाया और आप विधायकों के साथ नाइंसाफी की। गोपाल राय नेकहा, “स्पीकर ने पहले ही दिन से तानाशाह की तरह व्यवहार किया और यह निंदनीय है। हम इस सत्र में अपने मुद्दों को उठाने के लिए गए थे, लेकिनहमें इसका मौका नहीं दिया गया।”

उन्होंने आगे कहा, “आज विधानसभा का आखिरी दिन है और हमारे सभी विधायक सदन में मौजूद हैं। हम चर्चा में भाग लेंगे और अपना पक्ष रखेंंगे।हमें उम्मीद है कि इस बजट के माध्यम से सरकार अपने वादों को पूरा करेगी, लेकिन अगर हमसे असहमति जताई जाती है तो हम इसका विरोध करेंगे।”

संसदीय कार्यवाही की स्थिति
दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच विवादित स्थिति बनी रही। दोनों दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारीरहा। आम आदमी पार्टी ने इस आरोप को खारिज किया कि वह सीएजी रिपोर्ट से डरते हैं, जबकि बीजेपी ने इस रिपोर्ट के आधार पर दिल्ली सरकारके कार्यों की कड़ी आलोचना की।

विधानसभा के भीतर जब हंगामा बढ़ने लगा और सत्र को बाधित करने की स्थिति बन गई, तो स्पीकर को बीच में हस्तक्षेप करना पड़ा। स्पीकर ने खड़ेहोकर सदन में शांति बनाए रखने का प्रयास किया और विधायकों से नियमों के तहत अपनी बात रखने की अपील की।

आखिरकार क्या होगा परिणाम?
दिल्ली विधानसभा में इस हंगामे और विरोध के बावजूद, यह स्पष्ट है कि दोनों प्रमुख दलों के बीच टकराव अभी थमने वाला नहीं है। जहां एक ओरआम आदमी पार्टी सीएजी रिपोर्ट को लेकर अपनी सफाई देने में लगी है, वहीं दूसरी ओर भाजपा दिल्ली सरकार के कार्यों की आलोचना करने का कोईमौका नहीं छोड़ रही।

इस हंगामे के बीच, दिल्ली के लोग इस बात को लेकर चिंतित हैं कि क्या विधानसभा में इस तरह के विवादों के बावजूद कोई ठोस निर्णय लियाजाएगा। अब यह देखना होगा कि दिल्ली सरकार आने वाले दिनों में इन मुद्दों पर किस तरह की कार्रवाई करती है और विधानसभा में आगे किस तरहकी कार्यवाही होती है।

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