दिल्ली में विधानसभा चुनाव करीब हैं, और राजनीतिक दल अपने-अपने एजेंडे को लेकर मैदान में उतर चुके हैं। इसी बीच, मुख्यमंत्री आवास को लेकरउठे ‘शीश महल’ विवाद ने आप (आम आदमी पार्टी) और बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) के बीच टकराव को और तेज कर दिया है।
सौरभ भारद्वाज और संजय सिंह को रोका गया
हाल ही में, आप नेता सौरभ भारद्वाज और संजय सिंह ने मुख्यमंत्री आवास का दौरा करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया। इसकेबाद, दोनों नेता प्रधानमंत्री आवास की ओर बढ़े, जहां पुलिस ने उन्हें जाने से मना कर दिया और वापस भेज दिया।
AAP नेताओं की प्रतिक्रिया
संजय सिंह ने इस घटना को लेकर कहा, “हम जनता के हितों की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन हमें रोका जा रहा है। यह लोकतंत्र के लिएखतरा है।”
सौरभ भारद्वाज ने भी अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, “जनता के पैसे की बर्बादी के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहेगी। हमारी आवाज दबाने कीकोशिश हो रही है, लेकिन हम पीछे नहीं हटेंगे।”
मुख्यमंत्री आतिशी का बयान
मुख्यमंत्री आतिशी ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा, “हमारी सरकार पारदर्शिता में विश्वास रखती है। विपक्ष जनता को गुमराह करने के लिए झूठेआरोप लगा रहा है।”
बीजेपी का विरोध और आरोप ?
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने मुख्यमंत्री आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और कई आरोप लगाए।
सचदेवा के आरोप
1. *दो बंगले का दावा*: सचदेवा ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री आतिशी के पास दो सरकारी बंगले हैं और उन्हें ‘बंगले वाली देवी’ कहा।
2. *शीश महल पर सवाल*: उन्होंने मुख्यमंत्री आवास के नवीनीकरण पर हुए खर्च को लेकर सवाल उठाए। सीएजी (CAG) रिपोर्ट के अनुसार, नवीनीकरण की प्रारंभिक लागत 8.62 करोड़ रुपये थी, जो बढ़कर 33.66 करोड़ रुपये हो गई। इसमें महंगे पर्दे, मार्बल और जिम उपकरण शामिलबताए गए।
CAG की रिपोर्ट में क्या हुआ खुलासा?
दिल्ली के मुख्यमंत्री आवास के नवीनीकरण पर कुल खर्च को लेकर विवाद सामने आया है। सीएजी (CAG) की रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में इसकीप्रारंभिक लागत ₹8.62 करोड़ अनुमानित थी, जो 2022 तक बढ़कर ₹33.66 करोड़ हो गई। इस खर्च में महंगे पर्दे, मार्बल, जिम उपकरण और अन्यसजावटी वस्तुओं का खर्च शामिल है। विपक्ष ने इसे सरकारी धन के दुरुपयोग का मामला बताया है और इसे चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहाहै।
चुनावी रणनीतियों पर असर
विशेषज्ञों का मानना है कि ‘शीश महल’ विवाद दोनों पार्टियों की चुनावी रणनीतियों को प्रभावित कर सकता है। बीजेपी इसे भ्रष्टाचार का मुद्दा बनाकरचुनावी बढ़त हासिल करना चाहती है, जबकि आप इसे छोटा मुद्दा बताते हुए अपने विकास कार्यों को प्राथमिकता देने पर जोर दे रही है।