सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों के आरोपी और आम आदमी पार्टी (AAP) के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन को हिरासत में चुनाव प्रचार करनेकी अनुमति दी है। जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की तीन सदस्यीय पीठ ने मंगलवार को हुसैन की याचिकास्वीकार करते हुए उन्हें 29 जनवरी से 3 फरवरी तक प्रचार की इजाजत दी।
कड़ी शर्तों के साथ प्रचार की अनुमति
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ताहिर हुसैन दिन के समय सुरक्षा के साथ प्रचार कर सकते हैं, लेकिन हर रात जेल में लौटना अनिवार्य होगा। अदालत ने हुसैनपर सुरक्षा खर्च के रूप में प्रतिदिन 2.47 लाख रुपये जमा करने की शर्त लगाई है।
वरिष्ठ अधिवक्ता ने रखी याचिका की दलील
हुसैन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ अग्रवाल ने कोर्ट में दलील दी कि चुनाव प्रचार के लिए उनके पास केवल चार से पांच दिन का समय बचाहै। उन्होंने कहा कि वह मुस्तफाबाद सीट से चुनाव लड़ रहे हैं और मतदाताओं से संपर्क करना उनके लिए बेहद जरूरी है। अग्रवाल ने यह भी कहा किहुसैन अपने घर के बजाय होटल में रुकेंगे और उसका विवरण अदालत को देंगे।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने किया विरोध
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू ने ताहिर हुसैन की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि हुसैन की भूमिका गंभीर है और इस तरह कीअनुमति जेल के नियमों को कमजोर कर सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर राहत दी गई तो अन्य आरोपी भी इसी तरह की याचिकाएं दाखिलकरेंगे।
अदालत का निर्देशन
पीठ ने सरकारी वकील को निर्देश दिया कि सुरक्षा व्यवस्था और खर्च का विवरण प्रस्तुत किया जाए। साथ ही, हुसैन से शपथपत्र में सभी जानकारीदेने को कहा गया।
ताहिर कहा से लड़ रहा है चुनाव
ताहिर हुसैन मुस्तफाबाद से मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। दिल्ली उच्च न्यायालय ने पहले उन्हें नामांकनदाखिल करने के लिए हिरासत पैरोल दी थी
2020 के दंगों का मुख्य आरोपी
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में फरवरी 2020 के दंगों में 53 लोगों की मौत हुई थी। ताहिर हुसैन पर खुफिया ब्यूरो के कर्मचारी अंकित शर्मा की हत्या सहित कईगंभीर आरोप हैं।
SC का ये कदम बना चर्चा का विषय
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने राजनीतिक और कानूनी हलकों में चर्चा को जन्म दिया है। कई लोगों का मानना है कि यह फैसला जेल में बंद अन्यआरोपियों के लिए मिसाल बन सकता है।