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दिल्ली चुनाव में सत्ता विरोधी लहर को कम करने के लिए आम आदमी पार्टी (AAP) ने कई मौजूदा विधायकों के टिकट काट दिए थे और कुछ कीसीटें बदल दी थीं। शुरू में ऐसा लगा कि यह बदलाव विधायकों की सहमति से हुआ है, क्योंकि पार्टी में किसी तरह का विद्रोह नहीं दिखा। लेकिनजैसे-जैसे चुनाव नजदीक आया, पार्टी में असंतोष बढ़ने लगा। मतगणना से कुछ दिन पहले आम आदमी पार्टी के पांच विधायकों ने इस्तीफा दे दियाऔर सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए।


7 विधायकों के इस्तीफे से AAP को झटका
आप के जिन पांच विधायकों ने पार्टी छोड़ी है, उनमें राजेश ऋषि, नरेश यादव, भावना गौड़ और रोहित कुमार मेहरौलिया शामिल हैं। इन इस्तीफों नेचुनावी माहौल में हलचल मचा दी है। पहले से ही सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही आम आदमी पार्टी पर विपक्षी दल भ्रष्टाचार के आरोप लगारहे थे, और अब खुद पार्टी के पूर्व विधायकों के आरोपों से स्थिति और खराब हो सकती है।

टिकट वितरण पर घमासान
जनकपुरी से दो बार के विधायक रहे राजेश ऋषि ने पार्टी पर टिकट वितरण में भाई-भतीजावाद का आरोप लगाया। उनका कहना है कि आम आदमीपार्टी अपने मूल सिद्धांतों से भटक चुकी है। उनका आरोप है कि पार्टी में अब पारदर्शिता और ईमानदारी की जगह स्वार्थ और गुटबाजी ने ले ली है।

नरेश यादव का इस्तीफा बना मुश्किल
मेहरौली से विधायक रहे नरेश यादव का इस्तीफा आम आदमी पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। उन पर पंजाब के मलेरकोटला में कुरान कीबेअदबी का आरोप लगा था, इसके बावजूद AAP ने उन्हें फिर से उम्मीदवार बनाया था। लेकिन विपक्षी दलों और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी द्वाराइस मुद्दे को उठाने के बाद पार्टी ने नरेश यादव की उम्मीदवारी वापस ले ली और उनकी जगह रोहित चौधरी को उम्मीदवार बना दिया।

AAP ने दावा किया कि नरेश यादव ने खुद चुनाव लड़ने से इनकार किया, लेकिन हकीकत यह है कि पार्टी के इस फैसले से वे नाराज थे। अब पार्टीछोड़ने के बाद अगर नरेश यादव आम आदमी पार्टी की भूमिका पर सवाल उठाते हैं, तो इससे मुस्लिम बहुल सीटों पर पार्टी को नुकसान हो सकता है।

AAP की बढ़ी मुश्किलें
इस्तीफा देने वाले विधायकों ने अरविंद केजरीवाल और दिल्ली सरकार पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने के गंभीर आरोप लगाए हैं। विपक्षी दल इन आरोपोंको आधार बनाकर यह नैरेटिव गढ़ सकते हैं कि आम आदमी पार्टी के नेता खुद पार्टी के भ्रष्टाचार से तंग आ चुके हैं। इन आरोपों से चुनाव में AAP कीमुश्किलें और बढ़ सकती हैं, खासकर उन सीटों पर जहां मुकाबला कड़ा है।

चुनाव से पहले पार्टी के विधायकों के इस्तीफे और भ्रष्टाचार के आरोपों ने आम आदमी पार्टी के लिए नई मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। सत्ता विरोधी लहरके साथ-साथ अब पार्टी को अपने ही पूर्व नेताओं के आरोपों का भी सामना करना पड़ रहा है, जिससे चुनावी समीकरण बदल सकते हैं।

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