गुजरात में हाल ही में हुए नगर निकाय चुनावों के परिणामों ने एक बार फिर साबित कर दिया कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) राज्य में अपनी पकड़मजबूत बनाए हुए है। हालांकि, सोशल मीडिया पर यह कोशिश की गई कि आम आदमी पार्टी (AAP) ने गुजरात में भाजपा को कड़ी चुनौती दी है, लेकिन सच्चाई इससे बहुत अलग थी। चुनाव परिणामों के अनुसार, आम आदमी पार्टी न केवल भाजपा को चुनौती देने में असफल रही, बल्कि कांग्रेसतक से मुकाबला नहीं कर पाई। देवभूमि द्वारका जिले के सलाया नगरपालिका में तो उसे कांग्रेस से हार का सामना करना पड़ा, जहां मुसलमानों काबहुमत था और इस क्षेत्र में भाजपा ने अपनी स्थिति कमजोर पाई थी। हालांकि, यहां भी आम आदमी पार्टी केवल 13 सीटों तक ही सीमित रही, जबकि कांग्रेस ने 15 सीटों पर जीत हासिल की। इस चुनाव ने यह भी साबित किया कि मुसलमानों ने आम आदमी पार्टी से खासा समर्थन नहीं किया, जैसा कि पहले कई स्थानों पर देखने को मिला था, खासकर उन क्षेत्रों में जहां कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने गठबंधन किया था।
आम आदमी पार्टी ने इस चुनाव में 500 से अधिक उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, लेकिन इन उम्मीदवारों में से केवल 27 ही जीत पाए, और कुलवोट प्रतिशत महज 4.28% था। यह आंकड़ा पार्टी के 2022 के विधानसभा चुनावों में मिले करीब 13% वोटों के मुकाबले बहुत ही निराशाजनकथा। यह साफ दर्शाता है कि आम आदमी पार्टी को नगर निकाय चुनावों में गुजरात की जनता से जो उम्मीदें थीं, वो पूरी नहीं हो सकी। इसके विपरीत, कांग्रेस ने 2017 में अपने प्रदर्शन की तुलना में बेहतर स्थिति हासिल की। 2017 में जब कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में 78 सीटें जीती थीं, तब भीस्थानीय चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन बेहतर नहीं रहा था, लेकिन इस बार कांग्रेस ने 2022 के विधानसभा चुनावों के बाद बेहतर प्रदर्शन किया, औरराज्य की राजनीति में अपना प्रभाव बरकरार रखा। दरअसल, कांग्रेस अब भी भाजपा के साथ मुख्य मुकाबला कर रही है, जबकि आम आदमी पार्टी काप्रदर्शन काफी कमजोर रहा है।
बीजेपी ने 16 फरवरी को हुए मतदान के बाद राज्य की 68 नगर पालिकाओं में से 60 में जीत हासिल की, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि पार्टी कीस्थिति गुजरात में काफी मजबूत है। पार्टी ने कम से कम 15 नगरपालिकाओं में कांग्रेस से सत्ता छीन ली और खुद को राज्य में प्रमुख राजनीतिक ताकतके रूप में स्थापित किया। भाजपा के इस शानदार प्रदर्शन ने एक बार फिर से यह सिद्ध कर दिया कि राज्य में उसका राजनीतिक वर्चस्व किसी भी पार्टीके लिए चुनौतीपूर्ण है। हालांकि, कांग्रेस ने एक नगरपालिका में जीत हासिल की, और समाजवादी पार्टी ने दो नगरपालिकाओं में सफलता पाई, लेकिन यह पार्टी के लिए बहुत सीमित उपलब्धि रही। बीजेपी के विजय रथ के सामने इन छोटे दलों का प्रदर्शन कोई महत्वपूर्ण असर नहीं डाल सका।कुल मिलाकर, भाजपा ने एक बार फिर से यह सिद्ध कर दिया कि गुजरात में उसकी सत्ता पर कोई भी गंभीर चुनौती देने की स्थिति में नहीं है, औरउसकी स्थिति राज्य की राजनीति में अडिग बनी हुई है।