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नई दिल्ली: खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट के कारण खुदरा मुद्रास्फीति (CPI आधारित) जनवरी 2025 में धीमी होकर 4.31% पर आ गई।दिसंबर 2024 में यह दर 5.22% और जनवरी 2024 में 5.1% थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा बुधवार को जारी आंकड़ों में यहजानकारी दी गई।

खाद्य मुद्रास्फीति में भी कमी
जनवरी 2025 में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 6.02% रही, जो दिसंबर में 8.39% और एक साल पहले इसी अवधि में 8.3% थी। भारतीय रिजर्वबैंक (RBI) को यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी गई है कि खुदरा मुद्रास्फीति 2% के मार्जिन के साथ 4% पर बनी रहे।

औद्योगिक उत्पादन में गिरावट
दिसंबर 2024 में देश के औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि धीमी होकर 3.2% रह गई। खनन और विनिर्माण क्षेत्रों के खराब प्रदर्शन ने इस गिरावट मेंयोगदान दिया। इसी अवधि में खनन उत्पादन की वृद्धि दर 2.6% और विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर 3% रही। हालांकि, बिजली उत्पादन में सुधार हुआऔर यह 6.2% पर पहुंच गया।

सब्जियों की कीमतों में गिरावट बनी मुख्य कारण
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सब्जियों की कीमतों में आई गिरावट ने मुद्रास्फीति में कमी लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सर्दियों की ताजा उपज औरबेहतर आपूर्ति से कीमतें नियंत्रित रहीं, जिससे आम परिवारों को राहत मिली है।

RBI ने रेपो दर घटाई
भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में आयोजित मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में रेपो दर को 6.5% से घटाकर 6.25% कर दिया। यह कदमआर्थिक विकास को प्रोत्साहन देने और महंगाई को नियंत्रित करने के उद्देश्य से उठाया गया।

अप्रैल-दिसंबर में औद्योगिक उत्पादन में मामूली वृद्धि
चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-दिसंबर अवधि में औद्योगिक उत्पादन में 4% की वृद्धि दर्ज की गई, जो पिछले साल की समान अवधि में 6.2% थी।हालांकि, जनवरी में मुद्रास्फीति में आई गिरावट से बढ़ती लागत से जूझ रहे परिवारों को राहत मिलने की उम्मीद है।

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