महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (WCD) ने शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा लगाए गए आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा किसरकार की प्रमुख योजना ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ के अंतर्गत कोई भी धनराशि गायब नहीं हुई है। मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि योजना केतहत खर्च किए गए सभी फंडों का हिसाब पूरी तरह से पारदर्शी है, और किसी भी प्रकार की वित्तीय गड़बड़ी या भ्रष्टाचार का कोई सवाल नहीं उठता।यह सफाई कांग्रेस अध्यक्ष के उस दावे के बाद दी गई है, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि इस योजना में 455 करोड़ रुपये “गायब” हो गए हैं।
मल्लिकार्जुन खरगे का आरोप
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शुक्रवार को सूचना के अधिकार (RTI) के तहत प्राप्त जानकारी का हवाला देते हुए यह दावा किया कि केंद्रसरकार की ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना में 455 करोड़ रुपये का फंड गायब हो गया है। खरगे ने यह भी आरोप लगाया कि यह राशि कुछ हीवर्षों में गायब हो गई, जबकि इस योजना के तहत सरकारी विज्ञापनों के लिए भारी-भरकम राशि खर्च की गई है।
उन्होंने अपने बयान में कहा, “सूचना का अधिकार कानून के तहत जो खुलासा हुआ है, उससे यह साबित होता है कि मोदी सरकार की ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना में 455 करोड़ रुपये गायब हो गए हैं।” खरगे ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में यह भी जोड़ा कि भाजपा के शासन में महिलाएंऔर लड़कियां न सिर्फ सरकारी योजनाओं से वंचित हो रही हैं, बल्कि उनके खिलाफ हिंसा भी बढ़ी है। उन्होंने लिखा, “बहुत हुआ नारी पर वार, भाजपाके विज्ञापनों की गूंज पिछले 10 वर्षों से उन सभी महिलाओं की चीखों का उपहास उड़ा रही है, जो भाजपा राज में और कभी-कभी भाजपा के गुंडोंद्वारा प्रताड़ित हुईं हैं।”
WCD मंत्रालय की सफाई
मल्लिकार्जुन खरगे के आरोपों के बाद महिला और बाल विकास मंत्रालय ने एक बयान जारी किया, जिसमें इन आरोपों को खारिज किया गया।मंत्रालय ने कहा कि यह दावा पूरी तरह से गलत है और इसका कोई आधार नहीं है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना केतहत 31 जनवरी 2025 तक कुल 952.04 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, और इन फंडों का सही तरीके से उपयोग किया गया है।
डब्ल्यूसीडी ने बताया कि इस राशि में से 526.55 करोड़ रुपये राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आवंटित किए गए थे, जबकि 425.49 करोड़ रुपयेराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न गतिविधियों पर खर्च किए गए थे। मंत्रालय ने यह भी कहा कि “यह स्पष्ट है कि तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया गया हैऔर झूठे विमर्श को बढ़ावा देने की कोशिश की गई है।”
महिला और बाल कल्याण मंत्रालय ने बताया योजना का असर
महिला और बाल विकास मंत्रालय ने यह भी बताया कि ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना न केवल सरकारी विज्ञापनों तक सीमित नहीं रही, बल्कियह एक जन आंदोलन बन चुका है। योजना का उद्देश्य बालिकाओं की शिक्षा और संरक्षण को प्राथमिकता देना है, और यह समाज में महत्वपूर्णबदलाव लाने में सक्षम रही है। मंत्रालय ने कहा कि इस योजना के जरिए समाज में एक जागरूकता फैलाने का प्रयास किया जा रहा है, जिसकेपरिणामस्वरूप बालिकाओं के प्रति सामाजिक नजरिया बदलने में मदद मिली है।
डब्ल्यूसीडी मंत्रालय ने इस मामले में एक ट्वीट किया, जिसमें कहा गया, “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना के माध्यम से सरकार हर बालिका कोबचाने और शिक्षित करने के अपने मिशन में दृढ़ है। यह एक जन आंदोलन बन चुका है और महत्वपूर्ण सामाजिक और व्यावहारिक परिवर्तन ला रहाहै।”
योजना की सफलता और उद्देश्य
‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना का उद्देश्य भारतीय समाज में बालिकाओं की सुरक्षा और शिक्षा को बढ़ावा देना था। इस योजना को 2015 मेंप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लॉन्च किया गया था, और इसका मुख्य उद्देश्य बेटियों के खिलाफ बढ़ती हिंसा और भेदभाव को समाप्त करना था। इसकेअंतर्गत बालिकाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने, उनके प्रति सामाजिक चेतना जागरूक करने और लिंगानुपात में सुधार लाने का प्रयास किया गया था।
अब तक यह योजना कई राज्यों में सफल रही है, और इसके परिणामस्वरूप कई सकारात्मक बदलाव देखे गए हैं। मंत्रालय ने यह भी कहा कि इसयोजना का महत्व इस बात से समझा जा सकता है कि यह केवल सरकारी नीति नहीं, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन बन गया है, जो देशभर मेंमहिलाओं और बच्चों के लिए कार्य कर रहा है।
कांग्रेस के आरोपों पर सरकार की प्रतिक्रिया
कांग्रेस के आरोपों पर सरकार ने लगातार प्रतिक्रिया दी है, और इन आरोपों को खारिज किया है। सरकार ने कई बार यह बताया है कि इन योजनाओंके तहत खर्च किए गए पैसे का पूरा लेखा-जोखा है और इसका सही तरीके से उपयोग किया जा रहा है। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना जैसीसामाजिक योजनाओं को लेकर विपक्षी दलों द्वारा समय-समय पर सवाल उठाए जाते रहे हैं, लेकिन सरकार ने हमेशा अपनी योजनाओं की पारदर्शिताऔर उद्देश्य को स्पष्ट किया है।
‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना पर विपक्ष का राजनीतिक दृष्टिकोण
विपक्ष, खासकर कांग्रेस पार्टी, हमेशा यह आरोप लगाती रही है कि भाजपा सरकार अपनी योजनाओं और प्रचार अभियानों का राजनीतिक लाभ उठातीहै। मल्लिकार्जुन खरगे का यह बयान भी इसी रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जिसमें वे सरकार पर सवाल उठाते हुए यह दिखाने की कोशिश कर रहेहैं कि योजनाओं के नाम पर सरकार ने जनता से धोखा किया है।
इस प्रकार की आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति भारतीय राजनीति का एक अहम हिस्सा बन चुकी है, और यह केवल केंद्र सरकार के लिए नहीं, बल्किराज्य सरकारों के लिए भी एक चुनौती है। विपक्ष द्वारा लगाए गए आरोपों को सरकार के द्वारा जवाब देना जरूरी होता है ताकि जनता के बीच सहीसंदेश पहुंचे।
‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना का उद्देश्य भारतीय समाज में बालिकाओं के खिलाफ भेदभाव और हिंसा को कम करना था, और इसमें सरकार नेमहत्वपूर्ण संसाधनों का निवेश किया है। मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा लगाए गए आरोपों को सरकार ने गलत साबित किया है और दावा किया है कियोजना के तहत खर्च किए गए सभी फंड सही तरीके से उपयोग किए गए हैं। इस विवाद के बाद, यह स्पष्ट होता है कि ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है, और इसके जरिए समाज में बालिकाओं के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए सकारात्मक कदमउठाए जा रहे हैं।
हालांकि, यह भी ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी योजना की सफलता को लेकर विपक्ष और सरकार के बीच मतभेद होते रहते हैं, लेकिन अंततःजनता की भलाई के लिए सभी को मिलकर काम करना चाहिए।