पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुए बलात्कार और हत्या के मामले में सियालदह अदालतके निर्णय को लेकर असंतोष व्यक्त किया है। वहीं इस फैसले के खिलाफ ममता बनर्जी अब हाइ कोर्ट पहुंच गई हैं। बता दें कि बंगाल सरकार कीओर से एडवोकेट जरनल किशोर दत्ता ने सियालदाह कोर्ट के खिलाफ याचिका लगाई है। इसमें कहा गया है कि आरोपी संजय रॉय को उम्रकैद कीसजा सही नहीं है, उसे फांसी होनी चाहिए।
घटना का विवरण
यह घटना 9 अगस्त 2024 को कोलकाता स्थित आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में घटी। एक 27 वर्षीय महिला डॉक्टर, जो पोस्टग्रेजुएटप्रशिक्षु थी, अपने हॉस्टल के कमरे में मृत पाई गई। बाद में जांच में सामने आया कि अस्पताल के एक पूर्व कर्मचारी संजय रॉय ने उसके साथबलात्कार करने के बाद उसकी गला दबाकर हत्या कर दी।
अगली सुबह जब सहकर्मियों ने पीड़िता से संपर्क करने की कोशिश की और कोई जवाब नहीं मिला, तो वे उसके कमरे में पहुंचे। वहां उसका शवमिला, जिससे पूरे अस्पताल में भय और आक्रोश फैल गया।
मामले की जांच और अदालती फैसला
घटना के बाद मामले की प्रारंभिक जांच कोलकाता पुलिस द्वारा की गई। बाद में इसे केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया गया। सियालदहअदालत के अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश अनिरबन दास ने आरोपी को दोषी ठहराया। हालांकि, अदालत ने इसे “दुर्लभतम में से दुर्लभतम” कीश्रेणी में नहीं माना, जो मृत्युदंड का आधार हो सकता है। इसलिए आरोपी को मृत्यु तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
मुख्यमंत्री और अन्य नेताओं की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फैसले पर नाराजगी जताते हुए कहा कि यदि यह मामला राज्य पुलिस के हाथ में रहता, तो आरोपी को मृत्युदंड दिलानासंभव होता। उन्होंने सीबीआई की जांच प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए इसे असंतोषजनक बताया।
भारतीय जनता पार्टी के नेता और केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने भी फैसले की आलोचना की। उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवार न्याय चाहता है, न किमुआवजा। मजूमदार ने यह भी दावा किया कि इस मामले में और गहराई से जांच की जानी चाहिए।
पीड़ित परिवार और प्रदर्शनकारियों की प्रतिक्रिया
अदालत ने मृतका के परिवार को 17 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया। हालांकि, मृतका के पिता ने इस मुआवजे को अस्वीकार करतेहुए कहा कि उन्हें न्याय चाहिए, न कि धनराशि।
इस फैसले के विरोध में जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट और अन्य संगठनों ने सियालदह अदालत के बाहर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने दोषी के लिए मृत्युदंडकी मांग की और अदालत के फैसले पर अपनी नाराजगी व्यक्त की।
महिला सुरक्षा और न्याय प्रणाली पर सवाल
यह मामला न केवल पश्चिम बंगाल में बल्कि पूरे देश में महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करता है। इस घटना ने न्याय प्रणाली और जांचप्रक्रियाओं की प्रभावशीलता को लेकर बहस छेड़ दी है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा है कि वह दोषी के लिए मृत्युदंड की मांग को लेकर उच्च न्यायालय मेंअपील करेंगी। इससे यह स्पष्ट होता है कि राज्य सरकार इस मामले को लेकर किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं चाहती।
संदेश और भविष्य की दिशा
यह मामला एक बार फिर यह संदेश देता है कि महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने और अपराधियों को कठोरतम सजा देने के लिए एक ठोस औरप्रभावी प्रणाली की आवश्यकता है। ऐसे मामलों में तेजी से और कठोर न्यायिक फैसले ही समाज में बदलाव ला सकते हैं।