केरल की नेय्याट्टिंकारा अतिरिक्त जिला सत्र अदालत ने 24 वर्षीय ग्रीष्मा को अपने प्रेमी की हत्या के जुर्म में फांसी की सजा सुनाई है। यह मामला2022 का है, जिसमें ग्रीष्मा ने सुनियोजित तरीके से अपने प्रेमी राहुल की हत्या कर दी थी। अदालत ने इसे “दुर्लभतम में दुर्लभ” मामला मानते हुएकड़ी सजा का निर्णय लिया।
घटना की पृष्ठभूमि
ग्रीष्मा और राहुल एक समय में प्रेम संबंध में थे। हालांकि, बाद में ग्रीष्मा ने यह रिश्ता समाप्त करने का निर्णय लिया, जबकि राहुल शादी के लिएदबाव बना रहा था। इसी विवाद के चलते ग्रीष्मा ने एक दिन राहुल को जहरीला पेय पदार्थ पिला दिया, जिससे उसकी मौत हो गई। इस घटना केबाद पुलिस ने ग्रीष्मा को गिरफ्तार कर लिया।
अदालती कार्यवाही और सजा का ऐलान
न्यायालय ने सुनवाई के दौरान पाया कि ग्रीष्मा ने अपने निजी लाभ के लिए इस हत्या को अंजाम दिया। इसे “सुनियोजित और निर्मम” हत्या मानते हुएअदालत ने कहा कि ऐसा अपराध समाज में गलत संदेश देता है।
ग्रीष्मा के चाचा निर्मलकुमारन नायर को भी इस अपराध में सहयोगी माना गया और साक्ष्यों को छिपाने में मदद के लिए तीन साल की जेल की सजासुनाई गई।
दया की अपील और न्यायालय का रुख
सजा सुनाए जाने से पहले ग्रीष्मा ने अदालत से दया की गुहार लगाते हुए कहा कि वह अपने माता-पिता की इकलौती बेटी है और अब तक उसकाकोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। हालांकि, न्यायाधीश ने कहा कि ग्रीष्मा का अपराध सुनियोजित और जघन्य था, इसलिए इस पर दया दिखाने काकोई आधार नहीं है।
समाज और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
इस मामले ने केरल और अन्य हिस्सों में गहरी चिंता पैदा की। सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों ने अदालत के फैसले का स्वागत करते हुएइसे न्याय की जीत बताया।
हालांकि, कुछ मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने मौत की सजा पर सवाल उठाए। उनका मानना है कि सजा का उद्देश्य अपराधी को सुधारना होना चाहिए, न कि उसका जीवन समाप्त करना।
आगे की संभावना
ग्रीष्मा के पास ऊपरी अदालत में अपील करने का विकल्प है। आने वाले समय में यह स्पष्ट होगा कि वह इस फैसले को चुनौती देती है या नहीं।
मामले से जुड़ी व्यापक चिंता
यह घटना केवल एक हत्या का मामला नहीं है, बल्कि यह समाज में रिश्तों में बढ़ते तनाव और उनके कारण होने वाली हिंसा को भी उजागर करती है।विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सामाजिक जागरूकता बढ़ाने और रिश्तों को संभालने के लिए काउंसलिंग सेवाओं कोमजबूत करने की आवश्यकता है। वहीं इस मामले ने न्यायिक प्रणाली की निष्पक्षता और गंभीर अपराधों के प्रति उसकी सख्ती को उजागर किया है।यह फैसला समाज को यह संदेश देता है कि कानून किसी भी जघन्य अपराध को बर्दाश्त नहीं करेगा और दोषियों को सख्त सजा दी जाएगी।