केरल के पथानामथिट्टा जिले में 18 वर्षीय दलित एथलीट ने पिछले पांच वर्षों में 62 लोगों द्वारा यौन शोषण का आरोप लगाया है। यह मामला तबप्रकाश में आया जब केरल महिला समाख्या सोसाइटी के स्वयंसेवकों ने क्षेत्र भ्रमण के दौरान पीड़िता से बातचीत की। पीड़िता ने अपनी आपबीतीसाझा की, जिसके बाद इस मामले की सूचना जिला बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) को दी गई। काउंसलिंग के दौरान पीड़िता ने बताया किउसका शोषण 13 वर्ष की उम्र से हो रहा था।
पुलिस कार्रवाई और जांच
पुलिस ने मामले में तेजी दिखाते हुए दो थानों में पांच प्राथमिकियां दर्ज की हैं। पथानामथिट्टा के पुलिस अधीक्षक वीजी विनोद कुमार ने बताया किअब तक 14 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। जांच का नेतृत्व एक पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) कर रहे हैं, और अन्य आरोपियों की पहचान की जारही है।
*गिरफ्तार आरोपी और उन पर लगाए गए आरोप*
गिरफ्तार आरोपियों में पीड़िता के मंगेतर, कोच, साथी खिलाड़ी, सहपाठी और पड़ोसी शामिल हैं। इनकी उम्र 19 से 30 वर्ष के बीच है, और इनमें सेकई का आपराधिक रिकॉर्ड भी रहा है। आरोपियों पर पॉक्सो एक्ट, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम औरभारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की गंभीर धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
पीड़िता की सुरक्षा और मौजूदा स्थिति
पीड़िता को सीडब्ल्यूसी के अंतर्गत एक सुरक्षित आश्रय गृह में स्थानांतरित किया गया है। काउंसलिंग के माध्यम से उसकी मानसिक स्थिति कोसंभालने का प्रयास किया जा रहा है। परिवार ने दावा किया है कि उन्हें इन घटनाओं की जानकारी नहीं थी, क्योंकि पीड़िता ने कभी कुछ नहीं बताया।पीड़िता ने खेल शिविरों और प्रतियोगिताओं के दौरान यौन शोषण का सामना किया, जहां उसे अवसरों के नाम पर बार-बार निशाना बनाया गया।
*राष्ट्रीय महिला आयोग का हस्तक्षेप*
राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने मामले पर सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार से तीन दिनों के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है। आयोग ने सभीआरोपियों की शीघ्र गिरफ्तारी और निष्पक्ष जांच की मांग की है, ताकि पीड़िता को जल्द न्याय मिल सके।
आगे की कार्रवाई और न्याय प्रक्रिया
पुलिस ने 62 आरोपियों की पहचान के लिए जांच तेज कर दी है और शेष आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं। गिरफ्तार किए गए 14 आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। पुलिस जल्द ही अदालत में चार्जशीट दाखिल करेगी। सामाजिक संगठनों ने पीड़िता के मानसिकस्वास्थ्य और सुरक्षा को प्राथमिकता देने की मांग की है।
यह मामला न केवल यौन शोषण, बल्कि दलित समुदाय के प्रति हो रहे अत्याचार का भी एक गंभीर उदाहरण है। समाज और कानून के लिए यह घटनाएक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। पुलिस और प्रशासन का यह कर्तव्य है कि वे पीड़िता को न्याय दिलाने के साथ-साथ ऐसे अपराधों के प्रति सख्तसंदेश दें।