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कांग्रेस पार्टी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत से जुड़े टैरिफ कटौती संबंधी हालिया बयान पर मोदी सरकार को घेरते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दीहै। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार राष्ट्रीय हितों से समझौता कर रही है और भारत को वैश्विक मंच पर कमजोर कर रही है। कांग्रेस ने यह भीसवाल उठाया कि भारत सरकार ने खुद टैरिफ कटौती के फैसले पर स्पष्टता क्यों नहीं दी, और यह जानकारी अमेरिका के राष्ट्रपति से क्यों मिली।
ट्रंप के बयान पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया
कांग्रेस मीडिया एवं प्रचार विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा ने पार्टी कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी। खेड़ाने कहा, “अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में यह कहा था कि भारत ने टैरिफ में कटौती के लिए सहमति दी है, क्योंकि उन्होंने भारत की पोलखोल दी है। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि 140 करोड़ भारतीयों को उनकी अपनी सरकार की व्यापार नीति के बारे में जानकारी अमेरिकी राष्ट्रपति सेमिल रही है, न कि उनके प्रधानमंत्री से।”
कांग्रेस ने उठाए सवाल
पवन खेड़ा ने सवाल उठाया कि जब भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल अमेरिका में व्यापार वार्ता के लिए मौजूद हैं, तो भी सरकार ने टैरिफ मेंकटौती पर कोई आधिकारिक बयान क्यों नहीं दिया। उन्होंने कहा, “यह स्थिति बहुत ही निराशाजनक है। ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे भारत कोधमकाकर अपनी बात मानी गई है।”
भारत की ताकत और प्रधानमंत्री की चुप्पी
खेड़ा ने उदाहरण के तौर पर 1971 के बांग्लादेश युद्ध का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय अमेरिका ने भारत को डराने के लिए सातवां बेड़ा भेजाथा, लेकिन भारत ने उसे नकारा कर दिया। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि 1974 में पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद अमेरिका ने दबाव डाला, लेकिन भारत नहीं झुका। “1998 में जब भारत ने पोखरण-दो परीक्षण किया था, तब भी प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अमेरिका की धमकियोंका सामना किया, लेकिन आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि कमजोर क्यों हो रही है?” खेड़ा ने यह सवाल किया।
भारत को नुकसान और व्यापारिक संघर्ष
पवन खेड़ा ने कहा कि यदि कनाडा और मैक्सिको जैसे देश ट्रंप के खिलाफ खड़े हो सकते हैं, तो भारत ऐसा क्यों नहीं कर सकता। उन्होंने चेतावनी दीकि ट्रंप के इस निर्णय से सबसे ज्यादा नुकसान भारत के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को होगा। विशेषज्ञों के अनुसार, इससे भारत को सालानालगभग 60,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय कृषि को तीन स्तरों पर गंभीर चुनौतियों का सामना करनापड़ेगा।
मोदी सरकार का धीमा रुख और पूंजीपतियों के हित
खेड़ा ने आगे कहा कि मोदी सरकार पहले ही संकेत दे चुकी थी कि वह आयात शुल्क में कटौती पर विचार कर रही है, खासकर अमेरिकी उत्पादों जैसेहार्ले-डेविडसन बाइक्स, बोरबॉन व्हिस्की और वाशिंगटन सेब पर। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार केवल अपने पूंजीपति मित्रों के हितों की रक्षाकर रही है और देश के छोटे व्यापारियों और किसानों को नजरअंदाज कर रही है।
कांग्रेस ने किया प्रस्ताव
पवन खेड़ा ने कहा कि अगर मोदी सरकार अमेरिका को माकूल जवाब देती है और भारत के हितों की रक्षा करती है, तो कांग्रेस जिम्मेदार विपक्ष के रूपमें सरकार के साथ खड़ी होगी। साथ ही, उन्होंने प्रधानमंत्री से यह स्पष्टता की मांग की कि भारत के आर्थिक हितों की रक्षा के लिए सरकार क्या कदमउठाने जा रही है। उन्होंने कहा, “यह समय है कि प्रधानमंत्री मोदी स्पष्ट करें कि वे भारत के राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए क्या कदम उठा रहे हैं।”


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