कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की हालिया रिपोर्ट के बाद बीजेपी सरकार पर तीखा हमला किया। IMF की “India Article IV Consultation Report” में भारत में निजी निवेश को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है, और यह रिपोर्ट अप्रत्यक्षरूप से मोदी सरकार की नीतियों और क्रियाओं की आलोचना करती है।
भारत में निजी निवेश की वृद्धि सुस्त बनी हुई है
IMF की रिपोर्ट में भारत में निजी निवेश की सुस्त वृद्धि को लेकर चिंता जताई गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि “निजी कॉर्पोरेट निवेश विशेष रूप सेऐतिहासिक औसत की तुलना में सुस्त रहा है।” विशेष रूप से, उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए आवश्यक मशीनरी और उपकरणों में निवेश का अनुपातलगातार गिरता जा रहा है।
विनिर्माण क्षेत्र में क्षमता उपयोग में गिरावट
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जुलाई-सितंबर 2024 में भारत के विनिर्माण क्षेत्र में क्षमता उपयोग केवल 75.8% तक पहुंच पाया, और अधिकतरकंपनियों का मानना था कि अगले छह महीनों में उनकी उत्पादन क्षमता मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त होगी। यह स्थिति उपभोग में आई मंदी कोदर्शाती है, जहां जब उपभोक्ताओं के पास पर्याप्त धन नहीं होता, तो वे कम वस्तुएं और सेवाएं खरीद पाते हैं।
विदेशी निवेश में गिरावट
IMF ने यह भी उल्लेख किया कि पिछले कुछ वर्षों में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) उम्मीद से कम रहा है। 2020 में भारत की वैश्विक FDI में हिस्सेदारी 6½% थी, जो 2023 में घटकर सिर्फ 2% रह गई। IMF का मानना है कि यह स्थिति मोदी सरकार की असंगत व्यापार नीतियों कापरिणाम है, जिसमें चीन के लिए खुले दरवाजे की नीति और बाकी दुनिया के लिए संरक्षणवाद की नीति अपनाई गई है।
श्रम बल भागीदारी दर में वृद्धि
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत में श्रम बल भागीदारी दर में वृद्धि का मुख्य कारण स्वरोजगार और बिना वेतन वाले पारिवारिक कार्यों में वृद्धि है।यह वही मुद्दा है जिस पर कांग्रेस लगातार ध्यान दिलाती रही है।
कृषि क्षेत्र में रोजगार की बढ़ोतरी
IMF ने एक और चिंताजनक प्रवृत्ति का उल्लेख किया है—भारत के कृषि क्षेत्र में रोजगार में वृद्धि हो रही है, जो सामान्य विकास प्रक्रिया के विपरीतहै। आमतौर पर श्रमिक उद्योग और सेवाओं की ओर स्थानांतरित होते हैं, लेकिन इस समय कृषि क्षेत्र में रोजगार बढ़ रहा है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था केलिए एक चिंता का विषय है।
कांग्रेस का समाधान
कांग्रेस का कहना है कि भारत की वर्तमान आर्थिक मंदी से उबरने के लिए तीन प्रमुख पहलुओं पर ध्यान देना आवश्यक है:
-जन उपभोग को बढ़ावा देना और वास्तविक वेतन वृद्धि को प्रोत्साहित करना, जिससे पिछले एक दशक से जारी ठहराव को समाप्त किया जा सके।
-आर्थिक नीतियों की स्थिरता सुनिश्चित करना, जिसमें बिना सोचे-समझे नीतिगत फैसलों से बचा जाए, कर आतंकवाद (tax terrorism) को समाप्तकिया जाए और उद्योगपतियों के प्रति ‘सबसे पसंदीदा’ नीति से दूरी बनाई जाए।
-व्यापार नीति का पुनर्गठन, जिसमें चीनी औद्योगिक अति-उत्पादन के डंपिंग से सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाए और श्रम-प्रधान विनिर्माण क्षेत्रोंसहित वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं के साथ मजबूत सहभागिता सुनिश्चित की जाए।
IMF की रिपोर्ट साफ तौर पर दर्शाती है कि सरकार की बयानबाजी और आर्थिक वास्तविकता के बीच की खाई ही भारत में निजी निवेश कोपुनर्जीवित करने की सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है।