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दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और विधानसभा में विपक्ष की नेता आतिशी ने विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता को एक पत्र लिखकर आम आदमी पार्टी(AAP) के 21 विधायकों के निलंबन को लोकतंत्र पर प्रहार और जनादेश का अपमान बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष की आवाज कोजानबूझकर दबाया जा रहा है।

आतिशी ने पत्र में चिंता व्यक्त की कि दिल्ली विधानसभा में विपक्षी दल के विधायकों को उनके विरोध प्रदर्शन के लिए भेदभावपूर्ण व्यवहार कासामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि आप विधायकों को उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना के अभिभाषण के दौरान “जय भीम” के नारे लगाने के कारणनिलंबित किया गया, जबकि “मोदी-मोदी” का नारा लगाने वाले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।

विवाद तब बढ़ा जब आतिशी और अन्य निलंबित विधायकों को महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने के लिए विधानसभापरिसर में प्रवेश करने से रोक दिया गया। आतिशी ने इसे अभूतपूर्व बताते हुए कहा कि यह लोकतांत्रिक परंपराओं का उल्लंघन है।

उन्होंने कहा, “दिल्ली विधानसभा में यह पहली बार है कि निर्वाचित विधायकों को विधानसभा परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई।” उनकातर्क था कि यह निर्णय विपक्ष को दबाने और उनकी आवाज को कुचलने के लिए लिया गया है।

आतिशी और 21 अन्य आप विधायकों को मंगलवार को उपराज्यपाल के अभिभाषण के दौरान मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के कार्यालय से बी.आर. आंबेडकर और भगत सिंह की तस्वीरें हटाने के विरोध में नारेबाजी करने के आरोप में निलंबित किया गया। विधानसभा अध्यक्ष ने विधायकों कोनिलंबित करते हुए उन्हें मार्शल के जरिए बाहर निकालने का आदेश दिया था।

आतिशी ने विधानसभा अध्यक्ष से “लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने” और सभी विधायकों के लिए “निष्पक्षता सुनिश्चित करने” का आग्रह किया।उन्होंने कहा, “आप इस विधानसभा के संरक्षक हैं, और आपका कर्तव्य है कि आप सभी विधायकों के साथ समान न्याय करें, चाहे वे सत्ता पक्ष के होंया विपक्ष के।”

इस बीच, आतिशी ने इस घटना को दिल्ली में “लोकतंत्र की हत्या” करार दिया और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर इस मुद्दे पर चर्चा के लिएसमय देने का अनुरोध किया। उन्होंने भाजपा पर “तानाशाही की सभी हदें पार करने” का आरोप लगाया और लोकतांत्रिक मानदंडों को बहाल करने केलिए हस्तक्षेप करने का आह्वान किया।

विधायकों का निलंबन उस समय हुआ जब विधानसभा में दिल्ली आबकारी नीति पर नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट पेश की गई।इस घटनाक्रम ने दिल्ली की राजनीतिक स्थिति को और भी जटिल बना दिया है, और विपक्षी दलों के बीच असंतोष बढ़ा दिया है।


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