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नई दिल्ली, 9 मार्च 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में दिल्ली के सुंदर नर्सरी में आयोजित एक महत्वपूर्ण सूफी संगीत समारोह “जहान-ए-खुसरो” के 25वीं वर्षगांठ पर शिरकत की। इस आयोजन में उन्होंने अपने विचार साझा किए और सूफी परंपरा की महिमा को रेखांकित किया।कार्यक्रम में उनकी उपस्थिति को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने तंज कसा है, जिससे राजनीतिक माहौल और भी गरमा गया है।
प्रधानमंत्री मोदी का उद्घाटन भाषण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “जहान-ए-खुसरो” समारोह में अपने संबोधन में भारतीय संस्कृति, सूफी परंपरा और हिंदुस्तान की अद्भुत विविधताओं के बारे मेंबात की। उन्होंने इस आयोजन को एक बहुत खास अवसर बताया, जो न सिर्फ भारतीय कला और संस्कृति को प्रोत्साहित करता है, बल्कि भारतीयसभ्यता की गहराई और विविधता को भी उजागर करता है।

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “आज जहान-ए-खुसरो में आकर मन खुश होना स्वाभाविक है। इस आयोजन में एक अलग खुशबू है, जोहिंदुस्तान की मिट्टी से आती है। हिंदुस्तान को हजरत अमीर खुसरो ने जन्नत से तुलना की थी और यह हमें इस बात का एहसास दिलाता है कि हमारादेश एक बगीचे की तरह है, जहां तहजीब और संस्कृति का हरा रंग बढ़ता है।”

उन्होंने आगे कहा कि सूफी परंपरा ने ना केवल धार्मिक बल्कि भौगोलिक सीमाओं को भी पार किया है। पीएम मोदी ने सूफी संतों के योगदान कीसराहना करते हुए कहा कि उन्होंने खुद को मस्जिद और खानकाहों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उन्होंने पवित्र कुरान के साथ-साथ वेदों के शब्द भीसुने। यह सामूहिकता और समरसता का प्रतीक है, जो भारत की संस्कृति को समृद्ध बनाता है।
रमजान की मुबारकबाद

इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों को रमजान की मुबारकबाद भी दी। उन्होंने कहा, “किसी भी देश की सभ्यता और संस्कृति को उसकीसंगीत, कला और साहित्य से पहचाना जाता है। भारत की सूफी परंपरा ने अपनी अलग पहचान बनाई है, और यह आज भी जीवित है, क्योंकि सूफीसंतों ने अपने विचारों के माध्यम से देशवासियों को एकजुट करने का काम किया।” उनका यह संदेश भारतीय संस्कृति और सांस्कृतिक विविधताओं कोएकजुट करने का था, जो सूफी परंपरा की सबसे बड़ी ताकत है।

अखिलेश यादव का तंज
प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति और उनके संबोधन पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने अपनेएक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर कार्यक्रम की एक क्लिप साझा करते हुए लिखा, “इस अंजुमन में आपको आना है बार-बार, अब नफरतों को दिल सेनिकाल दीजिए।” उनका यह ट्वीट एक तरह से प्रधानमंत्री मोदी पर एक तीखा तंज था, जिसमें उन्होंने मोदी सरकार की नीतियों और उनके पिछलेबयानों की ओर इशारा किया।

अखिलेश यादव के इस ट्वीट का मतलब था कि अगर प्रधानमंत्री मोदी वाकई भारत की संस्कृति और सौहार्द की बात करते हैं, तो उन्हें अपनी नफरतकी राजनीति को छोड़ देना चाहिए। उनका यह बयान बीजेपी और पीएम मोदी पर राजनीतिक हमले के रूप में देखा गया, क्योंकि सूफी परंपरा कीबात करते हुए मोदी का बयान एकजुटता और शांति का संदेश था, लेकिन अखिलेश ने इसे राजनीति से जोड़ते हुए नफरत की बात उठाई।

जहानखुसरो समारोह का महत्व
“जहान-ए-खुसरो” समारोह की शुरुआत 25 साल पहले हुई थी और यह भारतीय सूफी संगीत और संस्कृति के प्रसार का एक महत्वपूर्ण मंच बन चुकाहै। इस समारोह में देश-विदेश से आए कलाकार सूफी संगीत और कविता की प्रस्तुति करते हैं, जो भारतीय संस्कृति की विविधता और गहराई कोदर्शाता है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस आयोजन का जिक्र करते हुए कहा कि यह समारोह अब अपने 25 वर्षों का सफर तय कर चुका है, और इन वर्षों मेंइस आयोजन ने लोगों के दिलों में अपनी जगह बना ली है। यह एक बड़ी कामयाबी है, जो भारतीय कला और संस्कृति के प्रचार-प्रसार का प्रतीक है।

प्रधानमंत्री ने कहा, “जहान-ए-खुसरो का यह सिलसिला अब 25 साल पुराना हो चुका है और इस दौरान इसने भारतीय संगीत प्रेमियों के बीच एकअलग पहचान बनाई है। यह आयोजन ना केवल संस्कृति के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि लोगों के जीवन में सुकून और शांति भी लाता है।”
अखिलेश यादव का राजनीतिक तर्क

अखिलेश यादव का बयान प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम में शरीक होने के बाद आया है। उन्होंने यह संदेश दिया कि मोदी की सरकार ने जो बयान दिएहैं और जो नीतियाँ बनाई हैं, उनसे नफरत और विभाजन को बढ़ावा मिला है। इस पर अखिलेश यादव ने कहा कि अगर मोदी सरकार को वास्तव मेंभारतीय संस्कृति, एकता और सौहार्द की चिंता है, तो उन्हें अपनी नफरत की राजनीति को छोड़ देना चाहिए। उनका यह बयान उस समय और भीप्रासंगिक हो गया जब पीएम मोदी ने सूफी संगीत समारोह के दौरान शांति और एकता का संदेश दिया।
राजनीतिक संदर्भ और आम आदमी पार्टी

यह भी ध्यान देने योग्य है कि प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम के दौरान अखिलेश यादव का यह बयान भारतीय राजनीति में एक और नई बहस को जन्म देसकता है। भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच लगातार राजनीति होती रही है, और इस तरह के तंज-प्रतिक्रियाओं से यह और भी स्पष्टहोता है कि विपक्षी दल मोदी सरकार की नीतियों और उनके राजनीतिक दृष्टिकोण से असहमत हैं।

आखिरकार, प्रधानमंत्री मोदी का सूफी संगीत समारोह में भाषण एक संदेश था कि भारत की संस्कृति और धार्मिक विविधता ही उसकी ताकत है।वहीं, अखिलेश यादव ने इस पर तंज करते हुए राजनीतिक रूप से नफरत के मुद्दे को सामने लाने की कोशिश की, जिससे राजनीतिक माहौल में गर्मीबनी रही।


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