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भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई ने रविवार को कहा कि हमारे संविधान ने सुनिश्चित किया है कि देश मजबूत और एकजुट रहे, जबकिपड़ोसी देश अशांति और उथल-पुथल का सामना कर रहे हैं। महाराष्ट्र के रत्नागिरी ज़िले के मंदनगढ़ तालुका में एक न्यायालय भवन का उद्घाटन करनेके बाद मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यह भवन ऐसे क्षेत्र में बना है जहां संविधान के मुख्य निर्माता और महान समाज सुधारक बाबासाहेब आंबेडकर कापैतृक गांव अंबावडे भी स्थित है।

दो वर्षों में बनकर तैयार हुआ
जस्टिस गवई ने कहा, ‘देश युद्ध और शांति दोनों ही स्थितियों में एकजुट और विकास के पथ पर अग्रसर रहा है। हमने आंतरिक आपातकाल भी देखाहै, लेकिन हम मजबूत और एकजुट रहे हैं। यह डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के संविधान की वजह से है, जो हमें उन पड़ोसी देशों से अलग करता है जोउथल-पुथल का सामना कर रहे हैं। उनकी और हमारी स्थिति में अंतर भारतीय संविधान की मजबूती के कारण है। जैसा कि बाबासाहेब आंबेडकर नेठीक ही कहा था, जब तक इस देश में सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र स्थापित नहीं हो जाता, तब तक राजनीतिक लोकतंत्र का कोई मतलब नहींहै।’
श्रीलंका, बांग्लादेश और हाल ही में नेपाल में हिंसक नागरिक आंदोलन हुए, जिनके चलते सरकारें बदलीं और बड़े पैमाने पर हिंसा और आगजनी हुई।जस्टिस बीआर गवई ने कहा, ‘पिछले 22 वर्षों में एक न्यायाधीश के रूप में, मैंने न्याय के विकेंद्रीकरण का समर्थन किया है और कई न्यायिकबुनियादी ढांचा परियोजनाओं को पूरा किया है। मुझे सबसे ज्यादा संतुष्टि कोल्हापुर सर्किट बेंच (बॉम्बे उच्च न्यायालय की) और यह मंडनगढ़न्यायालय भवन से मिलती है, जो दो वर्षों में बनकर तैयार हुआ है।’

बाबासाहेब आंबेडकर के सपने को भी पूरा करेंगी
जस्टिस बीआर गवई ने एक सपने के साकार होने जैसा बताते हुए, मुख्य न्यायाधीश ने मंडनगढ़ न्यायालय भवन परियोजना में तेजी लाने के लिएमहाराष्ट्र सरकार को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, ‘वैसे तो कार्यपालिका और न्यायपालिका की शक्तियों को अलग-अलग कर लोगों को न्याय मिलनेकी उम्मीद की जाती है, लेकिन न्याय सभी तक पहुंचे, इसके लिए न्यायपालिका को कार्यपालिका से धन के मामले में सहयोग की जरूरत है। हाल हीमें नासिक, नागपुर, कोल्हापुर और दरियापुर में न्यायालय भवनों का उद्घाटन किया गया है, मुझे उनके निर्माण की गुणवत्ता पर गर्व है।’ मुख्यन्यायाधीश ने कहा कि ये अदालतें अंतिम नागरिक तक जल्द न्याय पहुंचाने के बाबासाहेब आंबेडकर के सपने को भी पूरा करेंगी।

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