
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई ने शनिवार, 29 जून 2025 को नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में अनुच्छेद 370 को लेकर बड़ाबयान दिया। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370, डॉ. भीमराव अंबेडकर की एक संविधान और एक राष्ट्र की सोच के विपरीत था। उनका यह वक्तव्य उससमय आया जब वे संविधान प्रस्तावना पार्क के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे।
अंबेडकर का दृष्टिकोण, एक राष्ट्र, एक संविधान
सीजेआई गवई ने अपने संबोधन में डॉ. अंबेडकर के सिद्धांतों को दोहराते हुए कहा कि बाबा साहेब कभी किसी एक राज्य के लिए अलग संविधान केपक्षधर नहीं थे। उनका मानना था कि भारत को एकजुट रखने के लिए सभी राज्यों पर समान कानून और संविधान लागू होना चाहिए। उन्होंने स्पष्टकिया कि विशेष दर्जा जैसे प्रावधान अंबेडकर की मूल सोच से मेल नहीं खाते।
अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सीजेआई बी.आर. गवई उस पांच जजों की संविधान पीठ का हिस्सा थे, जिसने 11 दिसंबर 2023 को अनुच्छेद 370 को हटाने के केंद्र सरकार केफैसले को संवैधानिक रूप से सही करार दिया था। इस ऐतिहासिक निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अनुच्छेद 370 केवल एक अस्थायी व्यवस्थाथी और जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है। फैसले में यह भी कहा गया था कि राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 370 को हटाने का निर्णय पूरी तरह वैधहै, और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का कदम भी संवैधानिक रूप से उचित है। साथ ही कोर्ट ने 30 सितंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर मेंविधानसभा चुनाव कराने के निर्देश भी दिए थे।
केंद्र सरकार का ऐतिहासिक कदम
5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को समाप्त करते हुए जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर दिया था। इसके लगभगचार साल बाद, दिसंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को वैध ठहराते हुए सरकार के रुख की पुष्टि की थी। अब, CJI गवई के ताजा बयान नेएक बार फिर यह स्पष्ट किया है कि भारतीय संविधान सभी राज्यों पर समान रूप से लागू होता है, और डॉ. अंबेडकर की सोच इसी एकता औरअखंडता की पुष्टि करती है।