
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने रविवार को कहा कि पुणे में उनके बेटे की कंपनी से जुड़ी कथित सरकारी जमीन की बिक्री के मामले में जांचशुरू हो गई है और सच्चाई जल्द ही जनता के सामने आ जाएगी। पुणे जिले के बारामती में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि अगर उनकेरिश्तेदार या करीबी लोग उनका नाम लेकर किसी तरह का गलत बयान देते हैं या नियमों का उल्लंघन करते हैं, तो प्रशासन को उन पर कार्रवाई करनीचाहिए। यह मामला पुणे के मुंधवा इलाके की करीब 40 एकड़ जमीन की बिक्री से जुड़ा है, जिसे लगभग 300 करोड़ रुपये में एक कंपनी, अमाडियाएंटरप्राइजेज, को बेचा गया था। इस कंपनी में अजित पवार के बेटे पार्थ पवार साझेदार हैं। हालांकि, इस मामले में दर्ज दो एफआईआर में पार्थ पवारका नाम नहीं है। वहीं इस मामले में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शनिवार को कहा था कि जमीन सौदे की जांच कानून के मुताबिक की जा रही है औरकिसी को बख्शा नहीं जाएगा।
प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए
जब अजित पवार से इस सौदे पर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कहा, ‘मैंने बीते कुछ दिनों में इस पर अपना पक्ष स्पष्ट कर दिया है। जांच शुरू हो चुकीहै और सच्चाई जल्द सामने आएगी। मुझे अब तक यह समझ नहीं आया कि एक रुपये का लेन-देन हुए बिना रजिस्ट्री कैसे हो गई? एक महीने में सबसाफ हो जाएगा कि रजिस्ट्री करने वाले ने ऐसा क्यों किया।’ वहीं, अजित पवार ने बताया कि उनके बेटे पार्थ की कंपनी की तरफ से की गई बिक्री रद्दकर दी गई है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने इस मामले में जांच समिति गठित कर दी है। उन्होंने कहा, ‘पहले भी मुझ पर 70000 करोड़ रुपये कीअनियमितता के आरोप लगे थे, अब 15-16 साल हो चुके हैं। हर चुनाव से पहले हमारे खिलाफ ऐसे आरोप लगाए जाते हैं। हम पारदर्शी तरीके सेकाम करने की कोशिश करते हैं, लेकिन जैसे ही कोई चुनाव आता है, लोग पुरानी जमीनें खोदने लगते हैं।’ उन्होंने यह भी कहा कि अगर उनके किसीकरीबी या रिश्तेदार ने उनके नाम का गलत इस्तेमाल किया है, तो प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए।
बेटे पार्थ को इस बात की जानकारी नहीं
बता दें कि महाराष्ट्र में स्थानीय निकायों के चुनाव 2 दिसंबर को होने वाले हैं। इस जमीन सौदे पर सवाल इसलिए उठे हैं क्योंकि विपक्ष का कहना हैकि सरकारी जमीन को बिना मंजूरी के बेचना गैरकानूनी है, और इसकी वास्तविक बाजार कीमत करीब 1800 करोड़ रुपये है। अधिकारियों केमुताबिक, कंपनी को अब रजिस्ट्री रद्द कराने के लिए दोगुना स्टांप ड्यूटी, करीब 42 करोड़ रुपये, जमा करनी होगी। यह मामला तब दर्ज हुआ जबइंस्पेक्टर जनरल ऑफ रजिस्ट्रार ऑफिस की शिकायत पर पिंपरी चिंचवड़ पुलिस ने दिग्विजय पाटिल, शीतल तेजवानी (जो 272 ‘मालिकों’ की ओरसे पॉवर ऑफ अटॉर्नी लेकर आए थे) और सब-रजिस्ट्रार आरबी तारू के खिलाफ धोखाधड़ी और गड़बड़ी के आरोप में एफआईआर दर्ज की। अजितपवार ने कहा है कि उनके बेटे पार्थ को इस बात की जानकारी नहीं थी कि जिस जमीन को उनकी कंपनी ने खरीदा, वह सरकारी जमीन है।