
बिहार में जीविका दीदी योजना के अंतर्गत 1.30 करोड़ महिलाओं को दस-दस हजार रूपये मिल चुके हैं। 26 सितंबर को पीएम नरेंद्र मोदी नेमहिलाओं को दस-दस हजार रुपये देकर नीतीश सरकार की इस योजना की शुरुआत की थी। तीन अक्टूबर को इसी योजना के अंतर्गत 25 लाख नईमहिलाओं को दस-दस हजार रुपये की मदद दी गई है। विपक्ष आरोप लगा रहा है कि चुनाव के समय महिलाओं को पैसा देना भाजपा-जदयू के पक्ष मेंवोट देने के लिए घूस देने जैसा है। इससे चुनाव पर असर पड़ सकता है। विपक्ष यह आरोप तब लगा रहा है जबकि लोकसभा चुनाव के पहले कांग्रेस नेस्वयं महिलाओं को आर्थिक सहायता देने का वादा किया था। बिहार चुनाव में भी महागठबंधन ने चुनाव जीतने पर हर महिला को 2500 रुपये देने कीघोषणा की है।
रिकॉर्ड संख्या में वोट मिलना चाहिए
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू को 64.85 लाख और भाजपा को 82.02 लाख वोट मिले थे। दोनों दलों को मिला दिया जाए तोभाजपा-जदयू को 1.46 करोड़ लोकप्रिय वोट मिले थे। यानी 2025 में जीविका दीदियों की लाभार्थियों की कुल संख्या भाजपा-जदयू को मिले कुलपॉपुलर वोटों से थोड़ी ही अधिक है। जीविका दीदी योजना के अंतर्गत स्वरोजगार अपनाने के लिए यह आर्थिक सहायता हर परिवार की केवल एकमहिला को ही दिया जा रहा है। यदि महिला को मिले पैसे से परिवार के वोटों की दिशा परिवर्तित होती है तो इस बार भाजपा-जदयू को रिकॉर्ड संख्यामें वोट मिलना चाहिए।
चुनाव के समय थोड़ा लालच देकर उनका वोट खरीद लिया
यह भी ध्यान रखना चाहिए कि यह आर्थिक सहायता महिलाओं के निचले वर्ग तक ही सीमित है। जिन घरों में कोई सरकारी नौकरी करने वाला व्यक्तिहै, या जो परिवार आयकर दाता श्रेणी में हैं, उन परिवारों की महिलाओं को यह लाभ नहीं मिलेगा। जबकि इस वर्ग में भी भाजपा-जदयू के समर्थकभारी संख्या में होंगे। ऐसे में एनडीए को मिले वोटों की संख्या और अधिक बढ़ेगी और यह एक नए रिकॉर्ड स्तर तक जा सकती है। लेकिन क्या ऐसाहोगा? क्या हर जीविका दीदी का परिवार भाजपा-जदयू को वोट करेगा। जीविका दीदी योजना का लाभ लेने वालों में बड़ी संख्या में मुस्लिम औरयादव परिवार की महिलाएं भी शामिल हैं। जबकि बिहार में इस समुदाय को परंपरागत तौर पर राजद-कांग्रेस का वोटर माना जाता है। जनसुराज पार्टीके नेता प्रशांत किशोर ने कहा है कि महिलाओं को पैसा तो ले लेना चाहिए, लेकिन वोट उसे देना चाहिए जो बिहार का विकास करे। राजद प्रवक्ताडॉ. नवल किशोर यादव ने अमर उजाला से कहा कि यह सीधे-सीधे चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश है। बिहार सरकार महिलाओं को पैसे कालालच दिखाकर वोट खरीदना चाहती है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि लोग देख चुके हैं कि किस तरह चुनाव के समय थोड़ा लालचदेकर उनका वोट खरीद लिया जाता है, लेकिन चुनाव के बाद विकास का कोई काम नहीं किया जाता। यदि बिहार सरकार महिलाओं के लिए विकासके काम करती तो आज उनके बच्चों को छोटी-छोटी नौकरी के लिए दूसरे राज्यों में न जाना पड़ता। उन्होंने कहा कि इस बार बदलाव बिहार का सबसेबड़ा चुनावी मुद्दा है और इस तरह की योजना नीतीश सरकार को जाने से नहीं रोक सकती।