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जम्मू-कश्मीर विधानसभा में शुक्रवार को जम्मू कश्मीर वस्तु एवं सेवा कर (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2025 पारित कर दिया गया। इस विधेयक केमाध्यम से प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार और जीएसटी परिषद की सिफारिशों के आधार पर राज्य के जीएसटी कानून में कई अहम बदलाव किए हैं।संशोधन का उद्देश्य प्रदेश के कर कानून को केंद्र के संशोधित जीएसटी कानून के अनुरूप बनाना है। नए संशोधन के तहत अब सरकार कुछ वस्तुओं परट्रैक एंड ट्रेस प्रणाली लागू कर सकेगी।

क्रेडिट के मामलों में कोई भ्रम न रहे
इसके तहत उत्पादों पर एक विशेष डिजिटल निशान या कोड लगाया जाएगा जिससे उनकी आवाजाही पर निगरानी रखी जा सकेगी। इस व्यवस्था कामकसद टैक्स चोरी पर रोक लगाना और वस्तुओं की पारदर्शी ट्रैकिंग सुनिश्चित करना है। संशोधन में यह भी प्रावधान है कि अगर कोई व्यापारी इसप्रणाली का पालन नहीं करता, तो उस पर एक लाख रुपये या वस्तु पर देय कर का दस फीसदी (जो अधिक हो) तक का जुर्माना लगाया जा सकेगा।बिल के तहत वाउचर के लेनदेन को अब वस्तु या सेवा की श्रेणी में नहीं रखा गया है यानी अब वाउचर पर जीएसटी नहीं लगेगा। वहीं, संयंत्र औरमशीनरी की परिभाषा को स्पष्ट किया गया है ताकि इनपुट टैक्स क्रेडिट के मामलों में कोई भ्रम न रहे।

पारदर्शी व तकनीकी रूप से सुदृढ़ बनाना
यह संशोधन आठ जुलाई 2017 से प्रभावी माना जाएगा। इसके साथ ही यह भी तय किया गया है कि यदि किसी व्यापारी को केवल जुर्माने सेसंबंधित आदेश मिला है और उस पर कोई कर देनदारी नहीं है, तो अपील करने से पहले उसे जुर्माने की राशि का दस प्रतिशत जमा करना होगा।संशोधन में स्थानीय निकायों की परिभाषा को भी स्पष्ट किया गया है। अब स्थानीय कोष और नगर कोष शब्दों का अर्थ कानून में स्पष्ट रूप सेपरिभाषित किया गया है ताकि संबंधित मामलों में कोई भ्रम न रहे। साथ ही विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) या मुक्त व्यापार गोदाम क्षेत्र में रखे गए मालकी आपूर्ति को अब वस्तु या सेवा की आपूर्ति नहीं माना जाएगा। यह संशोधन आठ जुलाई 2017 से प्रभावी रहेगा। इस संशोधन से सरकार के कोषपर कोई अतिरिक्त वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा। इन संशोधनों का उद्देश्य वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजटीय प्रस्तावों को लागू करना और कर कानूनों कोअधिक पारदर्शी व तकनीकी रूप से सुदृढ़ बनाना है।

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