
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चुनावी सभाओं को लेकर सक्रियता खूब नोटिस की जा रही। संबोधन से लेकर संवाद का अंदाज चर्चा में है। नीतीश कुमारका विपक्ष को लेकर हमला बोलना भी सुर्खियों में है। इसी कड़ी में उन्होंने अपने 20 साल के कार्यकाल में क्या-क्या बदलाव किए वो बताए। आइयेसिलसिलेवार जानते हैं। सबसे पहले नीतीश कुमार ने 2005 से पहले का दौर याद किया। जिसमें उन्होंने कहा कि आप सब को याद होगा, जब बिहारमें अपराध और भ्रष्टाचार चरम पर था। हर तरफ अराजकता का माहौल था। लोगों का घरों से निकलना दूभर हो गया था। शाम 6 बजे के बाद लोगअपने घरों से बाहर नहीं निकल पाते थे। हमारी बहन-बेटियां सुरक्षित नहीं थीं। राज्य में अपहरण का धंधा उद्योग का रूप धारण कर चुका था। शोरूमसे दिनदहाड़े गाड़ियां लूट ली जाती थीं।
भाईचारे और शांति का माहौल
अपराधियों के भय से कोई नई गाड़ी नहीं खरीदना चाहता था। पैसा रहते हुए भी कोई नया मकान नहीं बनाना चाहता था। राज्य में रंगदारों के आतंककी वजह से उद्योग धंधे बंद हो चुके थे। राज्य से डॉक्टर-इंजीनियर पलायन कर रहे थे। पूरी व्यवस्था चरमरा गई थी। बिहार में कानून-व्यवस्था नाम कीकोई चीज नहीं रह गई थी। अपराध को सत्ता से सीधे संरक्षण मिल रहा था और सत्ता में बैठे लोगों ने शासन-प्रशासन को पूरी तरह से पंगु बना कर रखदिया था। राज्य की जनता डर के साए में जीवन व्यतीत करने को मजबूर थी। बिहारी कहलाना अपमान की बात थी। सीएम नीतीश ने आगे बतायाकि जब वर्ष 2005 में जब हमलोगों की सरकार बनी, तो हमने सबसे पहले विधि-व्यवस्था के संधारण को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए कानून का राजस्थापित किया। अपराध और भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनायी गई। अब राज्य में किसी प्रकार के डर एवं भय का वातावरण नहींहै। राज्य में प्रेम, भाईचारे और शांति का माहौल है।
पुलिसकर्मियों की बहाली की जा रही
पहले पुलिस के पास न तो गाड़ियां होती थीं और न हथियार। अत्याधुनिक हथियारों के अभाव में पुलिस का मनोबल काफी नीचे था। वर्ष 2005 मेंबिहार में थानों की संख्या सिर्फ 817 थी, जिसे बढ़ाकर अब 1380 से भी ज्यादा कर दिया गया है। पुलिस थानों के लिए अत्याधुनिक भवन बनाएगए। साथ ही, पुलिस वाहनों की संख्या कई गुणा बढ़ाई गयी। पुलिस प्रशासन को अत्याधुनिक हथियारों से लैस किया गया। सिपाही एवं पुलिसपदाधिकारियों की नियुक्ति को प्राथमिकता दी गई। स्पेशल ऑग्जिलरी पुलिस (सैप) का गठन किया गया। 24 नवंबर 2005 को राज्य में नई सरकारबनने के समय बिहार पुलिस में कार्यरत बल की संख्या काफी कम थी। उस समय मात्र 42 हजार 481 पुलिसकर्मी कार्यरत थे। हमारी सरकार ने वर्ष2006 में कानून व्यवस्था को और बेहतर करने के लिए पुलिस बल की संख्या में बढ़ोत्तरी की। वर्तमान में राज्य में पुलिस बल की संख्या बढ़कर 1 लाख 25 हजार से भी ज्यादा हो गई है। सरकार ने तय किया है कि पुलिस बल की संख्या को और बढ़ाना है। इसके लिए कुल 2 लाख 29 हजार सेभी अधिक पदों का सृजन कर तेजी से पुलिसकर्मियों की बहाली की जा रही है।
अनुसंधान को अलग-अलग किया गया
वर्ष 2013 से ही पुलिस में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया गया। महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये तथा महिलाओं केसशक्तीकरण के लिये बिहार पुलिस में महिला सिपाहियों की बड़ी संख्या में नियुक्ति की गयी। साथ ही ‘आदिवासी महिला स्वाभिमान बटालियन’ कागठन किया गया। बिहार पुलिस में महिलाओं की भागीदारी आज देश में सबसे ज्यादा है। वर्ष 2008 में राज्य सिपाही भर्ती बोर्ड का गठन किया गयाएवं वर्ष 2017 में बिहार पुलिस अवर सेवा आयोग का गठन किया गया ताकि पुलिस बल की नियुक्ति शीघ्र हो सके। अपराध के वैज्ञानिक अनुसंधानके लिये विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं की स्थापना की गयी। आपराधिक मामलों के तेजी से निष्पादन के लिये थानों में विधि व्यवस्था और अनुसंधानको अलग-अलग किया गया।