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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को कहा कि इंफोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति और लेखिका सुधा मूर्ति को राज्य में चल रहेसामाजिक और शैक्षिक सर्वेक्षण को लेकर गलतफहमियां हैं। सामाजिक और शैक्षिक सर्वेक्षण को आमतौर पर जाति जनगणना कहा जाता है।सिद्धारमैया ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, ऐसी धारणा है कि यह पिछड़ी जातियों के लिए सर्वेक्षण है। उन्होंने कहा, यह पिछड़े वर्गों का सर्वेक्षण नहींहै। उन्होंने जो लिखना है, लिखने दीजिए। लोगों को समझना चाहिए कि यह सर्वेक्षण किस बारे में है। अगर वे नहीं समझ पा रहे हैं तो मैं क्या करसकता हूं? मुख्यमंत्री ने यह टिप्पणी तब की है, जब मूर्ति दंपती ने इस सर्वेक्षण में भाग लेने से इनकार कर दिया। उन्होंने अपने प्रपत्र में लिखा था किवे पिछड़े समुदायों से नहीं आते हैं। सिद्धारमैया ने कहा, क्या इंफोसिस (संस्थापक) का मतलब बृहस्पति (बुद्धिमान) होना चाहिए? हम 20 बार कहचुके हैं कि यह पिछड़े वर्गों का सर्वक्षण नहीं है, बल्कि सभी के लिए सर्वेक्षण है।

कमजोर वर्ग के परिवार की महिला प्रमुख को हर महीने दो हजार रुपये प्रदान करती
उन्होंने कहा कि शक्ति जैसी कल्याणकारी योजनाओं का शुभारंभ किया है, जो सरकारी बसों में महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा की पेशकश करती है।गृहलक्ष्मी योजना आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के परिवार की महिला प्रमुख को हर महीने दो हजार रुपये प्रदान करती है। उन्होंने पूछा, क्या शक्तियोजना सवर्ण महिलाओं और गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों के लिए नहीं है? क्या सवर्ण लोग गृह लक्ष्मी योजना के लाभार्थी नहीं हैं? मुख्यमंत्री ने कहा कि मंत्रियों की ओर से कई बार स्पष्ट किए जाने के बावजूद इस प्रक्रिया को लेकर अभी भी गलत धारणाएं बनी हुई हैं। उन्होंने कहा, अब केंद्र सरकार भी जाति जनगणना कराने जा रही है। तब वे (मूर्ति दंपती) क्या जवाब देंगे? मुझे लगता है कि उनके पास गलत जानकारी है।कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि नारायण मूर्ति और सुधा मूर्ति को राज्य में हो रहे सामाजिक व शैक्षिक सर्वेक्षण को लेकर गलतफहमी है।उन्होंने स्पष्ट किया कि यह सर्वेक्षण केवल पिछड़े वर्गों के लिए नहीं, बल्कि सभी वर्गों के लिए है।

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