
दुनिया के कई मुल्कों में छिपे बैठे भगोड़ों को पकड़ने के लिए सीबीआई ने ‘ग्लोबल ऑपरेशन सेंटर’ तैयार किया है। पिछले 9 महीने में 189 रेड कॉर्नरनोटिस जारी किए गए हैं। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को ‘भगोड़े अपराधियों के प्रत्यर्पण’ पर आयोजित दो दिवसीयसम्मेलन का उद्घाटन किया। शाह ने कहा, हम भारत में भ्रष्टाचार, अपराध और आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस तो जरूर रखें, लेकिन भारत कीसरहदों के बाहर बैठकर जो इसे चला रहे हैं, उनके लिए भी जीरो टॉलरेंस रखना, उन्हें कानून के दायरे में लाने का प्रयास करना और इसके लिए एकसुनिश्चित तंत्र बनाना, यह जिम्मेदारी भी हमारी ही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, अपराध और अपराधी की चाल चाहे कितनी भी तेज क्यों नहो, न्याय की पहुंच उससे भी अधिक गतिमान होनी चाहिए। पीएम मोदी के नेतृत्व में एक मज़बूत भारत, सीमाओं की सुरक्षा के साथ-साथ रूल ऑफलॉ की मजबूती सुनिश्चित करने के लिए आगे बढ़ रहा है। भगोड़े चाहे आर्थिक अपराधी हों, साइबर अपराधी हों, आतंकवादी घटनाओं में लिप्त हों यासंगठित अपराध नेटवर्क के हिस्सेदार हों, हर भगोड़े के साथ रुथलेस अप्रोच अपनाकर उन्हें भारतीय न्याय व्यवस्था के समक्ष खड़ा करने की व्यवस्थासुनिश्चित करनी चाहिए। अब इसका समय आ गया है।
इसके साथ ही रेड नोटिस प्रकाशन
सीबीआई हमारे यहां प्रत्यर्पण के लिए नामित एजेंसी है। इस जांच एजेंसी के सहयोग से हर राज्य को अपने यहां एक यूनिट खड़ी करनी चाहिए, जोराज्य से भागे हुए भगोड़ों को वापस लेने के लिए एक तंत्र स्थापित करे। इसे whole-of-government अप्रोच से गति भी देनी पड़ेगी। नरेंद्र मोदी केप्रधानमंत्री बनने के बाद इस दिशा में कई तरह के बदलाव हुए हैं। साल 2018 में भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम लाया गया है। इससे सरकारको भगोड़ों की भारत में स्थित संपत्तियों को जब्त करने का अधिकार मिला। लगभग चार वर्षों के भीतर लगभग 2 बिलियन डॉलर की रिकवरी हुई है, यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री शाह ने कहा, इसमें आगे और भी गति बनाए रखनी होगी। मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक कानून(PMLA) को भी और सशक्त तथा पुख़्ता बनाया गया है। लगभग 12 बिलियन डॉलर की संपत्तियां 2014–23 के बीच जब्त की गई हैं। सीबीआईने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भगोड़ों को पकड़ने के लिए विशेष ग्लोबल ऑपरेशन सेंटर भी स्थापित किया है। यह सेंटर, दुनिया भर की पुलिस के साथ रीयल-टाइम समन्वय कर रहा है। इसके साथ ही रेड नोटिस प्रकाशन, जनवरी-सितंबर 2025 के बीच 189 इश्यू किए गए हैं, जो की स्थापना के बाद अबतक सबसे अधिक हैं। यह दर्शाता है कि जब व्यवस्था होती है तो बहुत अच्छे परिणाम मिलते हैं।
अपराधों के समन्वय के लिए एक फोकस
शाह ने कहा, “जनवरी 2025 में संरचना के बाद भारतपोल को बहुत अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। यदि इसका अधिकतम उपयोग राज्य पुलिस भी करेंतो उद्देश्यों की प्राप्ति में और अधिक सफल होंगे। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में हमने धारा 355 और 356 में ट्रायल इन एब्सेंशिया का प्रावधानकिया है। आज़ाद भारत में पहली बार कानून में इसे स्थान दिया गया है। यदि कोई व्यक्ति भगोड़ा घोषित हो जाता है, तो उसकी अनुपस्थिति में भीअदालत उसके बचाव के लिए एक वकील नियुक्त करके मुकदमे की कार्यवाही चला सकती है। एक बार जब वह भगोड़ा से सजायाफ्ता ठहरायाजाता है, तो इससे अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत उसके दर्जे में बहुत बड़ा बदलाव आ जाता है।” शाह ने आगे कहा, “भगोड़ों का एक वैज्ञानिक डेटाबेसबनाया जाना चाहिए, जो पूरे देश की पुलिस के साथ साझा हो सके। इसमें यह स्पष्ट हो कि भगोड़ा किस विषय में भागा है, वह कहां पर है, उसकानेटवर्क कहां-कहां फैला हुआ है। उसे वापस लाने की प्रक्रिया किस चरण में रुकी हुई है। यह जानकारी हर देश की पुलिस एजेंसी के पास उपलब्धहोनी चाहिए। नार्को, आतंकवाद, गैंगस्टर, वित्तीय और साइबर अपराधों के समन्वय के लिए एक फोकस ग्रुप सभी राज्यों की पुलिस के भीतर स्थापितकिया जाना चाहिए। “