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सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, प्रदेश के नगरों के तीव्र गति से बदलते विकास स्वरूप को देखते हुए अब एक व्यापक ‘शहरी पुनर्विकास नीति’ कीआवश्यकता है। यह नीति केवल भवनों के पुनर्निर्माण तक सीमित न रहकर शहरों के समग्र पुनर्जागरण का मार्ग प्रशस्त करेगी। हमारे नगर केवलइमारतों का समूह नहीं, बल्कि जीवंत सामाजिक संरचनाएं हैं। इनके पुनर्जीवन के लिए ऐसी नीति आवश्यक है, जो आधुनिकता, परंपरा और मानवतातीनों का संतुलित समन्वय करे। मुख्यमंत्री ने मंगलवार को आवास विभाग की बैठक में कहा, नई नीति का उद्देश्य पुराने, जर्जर और अनुपयोगी क्षेत्रों कोआधुनिक शहरी बुनियादी ढांचे, पर्याप्त सार्वजनिक सुविधाओं और पर्यावरणीय संतुलन के साथ विकसित करना है। नीति में ऐसे प्रावधान किए जाएं, जिनसे निवास योग्य, सुरक्षित, स्वच्छ और सुव्यवस्थित नगरों का निर्माण सुनिश्चित हो।
पीपीपी मॉडल को प्राथमिकता दी जाए
उन्होंने निर्देश दिए कि नीति में भूमि पुनर्गठन, निजी निवेश को प्रोत्साहन, पारदर्शी पुनर्वास व्यवस्था और प्रभावित परिवारों की आजीविका की सुरक्षाको प्राथमिकता दी जाए। हर परियोजना में ‘जनहित सर्वोपरि’ की भावना हो तथा किसी की संपत्ति या जीविका पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। इसके लिएन्यायसंगत और मानवीय दृष्टिकोण अपनाया जाए। सीएम योगी ने कहा, नई नीति में राज्य स्तरीय पुनर्विकास प्राधिकरण, परियोजनाओं की सिंगलविंडो अप्रूवल प्रणाली व पीपीपी मॉडल को प्राथमिकता दी जाए। निवेशकों को स्पष्ट दिशा-निर्देश, प्रोत्साहन और सुरक्षा दी जाए, ताकि निजी क्षेत्रपुनर्विकास में सक्रिय भागीदारी कर सके। साथ ही हर परियोजना में हरित भवन मानक, ऊर्जा दक्षता और सतत विकास के प्रावधान अनिवार्य किएजाएं।

ऑनलाइन और न्यूनतम मानव हस्तक्षेप वाला होना
नगरों की ऐतिहासिक विरासत और सांस्कृतिक पहचान के संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाए। पुराने बाजारों, सरकारी आवास परिसरों, औद्योगिकक्षेत्रों और अनधिकृत बस्तियों के लिए क्षेत्रवार अलग रणनीति तैयार की जाए। नीति में सेवानिवृत्त सरकारी आवासों, पुरानी हाउसिंग सोसाइटियों वअतिक्रमण प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्विकास को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए गए हैं। सीएम योगी ने कहा, नई नीति का मसौदा जनप्रतिनिधियों, नगरनिकायों और आम नागरिकों से प्राप्त सुझावों के आधार पर अंतिम रूप से तैयार किया जाए और शीघ्र मंत्रिपरिषद के अनुमोदन हेतु प्रस्तुत किया जाए।वर्तमान में सभी प्रकार के भूमि उपयोग आवासीय, व्यावसायिक, औद्योगिक और कृषि पर समान शुल्क दरें लागू हैं, जो व्यावहारिक नहीं हैं। मुख्यमंत्रीने निर्देश दिए कि नई व्यवस्था में स्थान और भूमि उपयोग के आधार पर शुल्क दरों में अंतर रखा जाए। मुख्यमंत्री ने बाह्य विकास शुल्क की गणनाप्रणाली में पारदर्शिता और सरलता लाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि ऐसी व्यवस्था बनाई जाए जिसमें सामान्य व्यक्ति भी बिना किसी परेशानी केस्वयं अपने शुल्क की गणना कर सके। इसके लिए शुल्क निर्धारण का फॉर्मूला स्पष्ट, ऑनलाइन और न्यूनतम मानव हस्तक्षेप वाला होना चाहिए।

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