
भोजपुरी लोकगायिका नेहा सिंह राठौर को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर कोखारिज करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए पुलिस को गिरफ्तारी से रोक लगा दी है, लेकिन जांच में सहयोग करने का आदेश दिया है। यहमामला अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर नेहा के सोशल मीडिया पोस्ट से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्रमोदी की आलोचना की थी।
आपको बता दे कि 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों ने 26 पर्यटकों की हत्या कर दी थी। जिसमें हमलावरों ने कथिततौर पर पीड़ितों का धर्म पूछकर उनकी हत्याएं की थी, जिससे इस यह घटना सांप्रदायिक रंग ले चुकी थी।
इसी पूरे मामले के बाद नेहा सिंह राठौर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कई पोस्ट किए, इनमें उन्होंने सरकार और प्रधानमंत्री मोदी पर सवालउठाए, जैसे कि “मोदी बिहार क्यों गए? पाकिस्तान को धमकाने के लिए?”। इन पोस्ट को नेहा ने पहलगाम हमले के संदर्भ में शेयर किया, जो वायरलहो गए और पाकिस्तान में भी व्यापक रूप से साझा किए गए।
इस पूरे मामले पर 27 अप्रैल 2025 को लखनऊ के हजरतगंज थाने में अभय प्रताप सिंह नामक शिकायतकर्ता ने नेहा के खिलाफ एफआईआर दर्जकराई। उन पर आईपीसी की धारा 153A सांप्रदायिक वैमनस्य फैलाना, 295A धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना, 505 सार्वजनिक शांति भंग करनेवाली अफवाहें और आईटी एक्ट की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया। आरोप था कि उनके पोस्ट से सांप्रदायिक तनाव बढ़ा और देश विरोधीभावनाएं भड़कीं।
इसी के साथ नेहा ने 19 सितंबर 2025 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दायर की, जिसमें एफआईआर रद्द करने और गिरफ्तारीपर रोक की मांग की गई। उनका तर्क था कि पोस्ट अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19) के दायरे में हैं और उन्हें दुर्भावनापूर्ण तरीके से फंसाया गयाहै।
20 सितंबर 2025 को न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सैयद कमर हसन रिजवी की खंडपीठ ने याचिका पर फैसला सुनाया। कोर्ट नेएफआईआर खारिज करने से इनकार कर दिया, लेकिन नेहा को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया।
इसके साथ ही नेहा सिंह राठौर को कोर्ट की तरफ से आदेशित किया गया है। की 26 सितंबर को 11 बजे जांच अधिकारी के समक्ष पेश हो । इसी केसाथ पुलिस रिपोर्ट दाखिल होने तक जांच में पूर्ण सहयोग करे।
उसके साथ ही आपको बता दें कि कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी उसका मौलिक अधिकार है लेकिन इस पर युक्तियुक्तप्रतिबंध लगाए जा सकते है। कोर्ट ने कहा कि नेहा का पोस्ट हमले के तुरन्त बाद है। जिससे ये महत्वपूर्ण है। और प्रथमदृष्टि आरोप संज्ञेय अपराध केदायरे में आते है। इस लिए जांच जरूरी है।