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कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने इथेनॉल को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा है। उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी पर टारगेट करते हुए कहा कि,उनके मंत्री नितिनगडकरी केंद्र सरकार में नीति बना रहे है, जबकि उनके बेटे इसी से पैसा बना रहे है. गुरुवार को कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस वार्ता करते हुए कांग्रेस प्रवक्तापवन खेड़ा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी पर निशाना साधा हैं खेड़ा ने आरोप लगाते हुए कहा कि, एक तरफ पिता नितिनगडकरी केंद्र सरकार में बैठकर इथेनॉल को लेकर नीति बना रहे हैं. जबकि दूसरी तरफ उनका बेटे इसी नीति का फायदा उठाकर पैसा कमा रहे है साल2018 में नितिन गडकरी ने वादा किया था कि 5 इथेनॉल उत्पादक सेंटर तैयार किए जाएंगे. लेकिन, ये सेंटर तैयार नहीं हो पाए.

कमाई हो रही बर्बाद
खेड़ा ने आरोप लगाते हुए कहा, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के दोनों बेटों की कंपनियां इथेनॉल प्रोड्यूस करती हैं बेटे निखिल गडकरी की कंपनीसियान एग्रो का जून 2024 में रेवेन्यू 18 करोड़ था। जो जून, 2025 में बढ़कर 523 करोड़ हो गया. इनकी शेयर की कीमत जनवरी 2025 में 37.45 पैसे थे। अभी 368 रुपए है खेड़ा ने कहा कि, पिछले 11 साल के इतिहास में कोई भी स्कीम समय से पूरी नहीं हुई लेकिन इथेनॉल से जुड़ी स्कीम2025 की समयसीमा से पहले पूरी हो गई है. हमने समय सीमा से पहले 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण हासिल कर लिया है. आज एक लीटर इथेनॉलबनाने में 3000 लीटर पानी खर्च होता है. इस इथेनॉल को तैयार करने में पर्यावरण को भी भारी नुकसान हो रहा है नीति आयोग ने भी कहा किइथेनॉल के चलते गाड़ियों की माइलेज की गिरावट हुई है 2023 से पहले जितने भी इंजन बने हैं, वो इथेनॉल के साथ मेल नहीं खाते हैं. इससे इंजनडैमेज हो रहे, लोगों की कमाई बर्बाद हो रही है.

नहीं मिला कोई फायदा
प्रवक्ता खेड़ा ने आरोप लगाते हुए कहा कि, रूस से कच्चा सस्ता तेल आता हैं, फिर वह पीएम मोदी के दोस्त की रिफाइनरी में जाता है इसके बादपीएम मोदी के कैबिनेट मंत्रियों के बेटों की फैक्ट्री में जाता है. वहां इसमें इथेनॉल मिक्स होता हैं। फिर दिल्ली में मोदी जी इसमें टैक्स मिक्स मिला देतेहै इस तरह से अर्थव्यवस्था की खिचड़ी बन जाती है। सरकार ने देश को बताया था गया कि इथेनॉल से किसानों को फायदा होगा लेकिन असल मेंउन्हें कोई फायदा नहीं मिल रहा, बल्कि फायदा गडकरी के बेटे जैसे लोग उठा रहे हैं. देश में जितनी भी इथेनॉल की डिस्टिलरीज हैं, वो रेड कैटेगरी मेंआती हैं, यानी पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुंच रहा है. ऐसे में सवाल है- इथेनॉल से देश के किस वर्ग को लाभ मिल रहा है?

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