
जर्मन विदेश मंत्री जोहान वाडेफुल अपनी बंगलूरू यात्रा के दौरान प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भारत के विकास के मुरीद हुए उन्होंने कहा कि जर्मनी और भारतको सहयोग बढ़ाकर बहुत कुछ हासिल करना है. जोहान वाडेफुल ने विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान उन्होंनेकहा, ‘अगर हमें अपने सहयोग को और आगे बढ़ाना है, तो हमारी अर्थव्यवस्थाओं को बहुत कुछ हासिल करना होगा. मैं कल बंगलूरू में था, और मैंनेखुद देखा कि भारत कितना नवोन्मेषी महाशक्ति और प्रौद्योगिकी केंद्र बन गया है. जोहान वाडेफुल ने दुनिया में भारत के ‘विशेष और रणनीतिक’ महत्वपर भी जोर दिया.
सहयोग को बढ़ाना है और
उन्होंने कहा, भारत एक उभरती हुई महाशक्ति है और दुनिया का सबसे बड़ी आबादी वाला देश है इसके साथ ही सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में, भारतका वैश्विक क्षेत्र में विशेष और रणनीतिक महत्व है. वाडेफुल और एस जयशंकर ने द्विपक्षीय बैठक के दौरान अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों पर भी चर्चा की. वाडेफुल ने चीन के बढ़ते आक्रामक व्यवहार पर चिंता व्यक्त की और रक्षा, सुरक्षा एवं आयुध के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का लक्ष्य रखा. उन्होंने कहा, ‘भारत और जर्मनी नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने के उद्देश्य से एकजुट हैं, जिसमें हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री व्यापार मार्गों कीस्वतंत्रता भी शामिल है हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन का बढ़ता आक्रामक व्यवहार दोनों देशों के लिए चिंता का विषय है. सामान्य तौर पर, हमारा लक्ष्यरक्षा, सुरक्षा और आयुध के क्षेत्रों में अपने सहयोग को और बढ़ाना है.वाडेफुल ने कहा, ‘हमने आज इस बारे में बात की.
मेजबानी के बारे में की बात
चाहे वह हमारी सेनाओं के साझा अभ्यास के जरिये हो या पिछले साल जर्मन फ्रिगेट द्वारा भारत के बंदरगाह पर किए गए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग केलिए निर्यात लाइसेंस प्रक्रिया में तेजी लाने के जरिये। हमने इस तथ्य पर भी चर्चा की कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा यूरोप की सुरक्षा से गहराई सेजुड़ी हुई है रूस का आक्रामक युद्ध अभी भी हमारी सुरक्षा नीति के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. जर्मन विदेश मंत्री वाडेफुल ने भारत द्वारा एआई शिखरसम्मेलन की मेजबानी के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा कि यह नई तकनीक के क्षेत्र में अग्रणी देशों में शामिल होने की भारत की महत्वाकांक्षा औरदावे का प्रदर्शन है द्विपक्षीय व्यापार पर बोलते हुए उन्होंने कहा, 31 अरब यूरो से भी कम के व्यापार के साथ भारत और जर्मनी पहले से ही प्रीमियरलीग में खेल रहे हैं जर्मनी भारत को अपना सबसे महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार मानता है हमारा लक्ष्य इसे दोगुना करना है.