
मुंबई पुलिस ने मंगलवार को मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे और उनकी टीम को एक नोटिस जारी कर उन्हें जल्द से जल्द आजाद मैदान खालीकरने को कहा है. पुलिस ने नोटिस में कहा कि दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में 5,000 प्रदर्शनकारियों के जमावड़े की अनुमति थी, लेकिन महाराष्ट्र केविभिन्न हिस्सों से 40,000 से ज़्यादा आंदोलनकारी आजाद मैदान पहुंच गए. पुलिस ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने पिछले कुछ दिनों में बड़ी संख्यामें इकट्ठा होकर दक्षिण मुंबई में सड़कें जाम कर दीं और आजाद मैदान और आसपास के इलाकों को जोड़ने वाली सड़कों पर 5,000 से ज़्यादा वाहनभी खड़े कर दिए, जिससे भारी यातायात जाम हो गया. पुलिस ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर खाना पकाया, नहाए, सार्वजनिक जगहों परनृत्य किया और क्रिकेट खेला, जिससे आरक्षण आंदोलन के लिए पहले से तय शर्तों का उल्लंघन हुआ.
सभी डटे हुए है आजाद मैदान में
बॉम्बे उच्च न्यायालय ने सोमवार को उनके समर्थकों से मंगलवार दोपहर तक शहर की सभी सड़कों को खाली करने और साफ-सफाई करने औरसामान्य स्थिति बहाल करने को कहा पुलिस ने बताया कि नोटिस अमरन पोषण और उसकी कोर टीम के आठ सदस्यों के नाम पर जारी किया गया था. मराठा आरक्षण आंदोलन के बीच अब महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल ने चेतावनी दी है कि अगर मराठों को आरक्षण देने के लिए ओबीसी के मौजूदाआरक्षण में कोई भी बदलाव करने की कोशिश की गई, तो ओबीसी समुदाय सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेगा. भुजबल ने सोमवार को अन्यपिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के प्रमुख नेताओं के साथ बैठक की वहीं मनोज जरांगे के नेतृत्व में मराठा प्रदर्शनकारी 29 अगस्त से अपनी आरक्षण की मांगको लेकर दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में डटे हुए हैं.
17 प्रतिशत बचता है कोटा
मराठों को ओबीसी वर्ग से आरक्षण दिए जाने का विरोध करते हुए वरिष्ठ राकांपा नेता छगन भुजबल ने दावा किया कि महाराष्ट्र में ओबीसी के लिए27 प्रतिशत आरक्षण में से 6 प्रतिशत खानाबदोश जनजातियों के लिए, 2 प्रतिशत गोवारी समुदाय के लिए, जबकि अन्य छोटे हिस्से विभिन्न समूहोंके लिए निर्धारित हैं, जिससे 374 समुदायों के लिए केवल 17 प्रतिशत कोटा बचता है. सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए, भुजबल ने दावा कियाकि ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) कोटे के आठ प्रतिशत लाभार्थी मराठा समुदाय के सदस्य हैं। उन्होंने कहा, ‘मैंने हाथ जोड़कर निवेदनकिया है कि मराठों को ओबीसी श्रेणी में शामिल नहीं किया जाना चाहिए. अगर उन्हें ओबीसी कोटे में बदलाव किए बिना आरक्षण मिलता है तो हमेंकोई आपत्ति नहीं है.